पाकिस्तान ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान उसके अहम सैन्य ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचाया था। भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने में चार दिनों तक चला सैन्य संघर्ष लंबे समय तक दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बना रहा। अब इस घटनाक्रम के करीब आठ महीने बाद पाकिस्तान की ओर से यह कबूलनामा सामने आया है, जिसने उस समय की रणनीतिक सच्चाई को उजागर कर दिया है।
यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने की है। उन्होंने पुष्टि की कि भारतीय सेना के ड्रोन हमलों में रावलपिंडी के चकलाला क्षेत्र स्थित नूर खान एयरबेस को निशाना बनाया गया था। डार के अनुसार, इस हमले में पाकिस्तान के एक प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठान को नुकसान पहुंचा और कई सैन्य कर्मी घायल हुए थे। नूर खान एयरबेस पाकिस्तान के सबसे संवेदनशील और रणनीतिक सैन्य ठिकानों में से एक माना जाता है।
36 घंटों में 80 ड्रोन, पाकिस्तान का दावा
इशाक डार ने कहा कि भारत ने महज 36 घंटों के भीतर कम से कम 80 ड्रोन पाकिस्तान की ओर भेजे थे। हालांकि उन्होंने यह दावा भी किया कि पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली ने इनमें से 79 ड्रोन को रोकने में सफलता हासिल की। डार के मुताबिक, “भारत ने 10 मई की सुबह नूर खान एयरबेस पर हमला करने की गलती की, जिसके बाद पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई शुरू हुई।” उनके इस बयान को पाकिस्तान की रणनीतिक विफलताओं को ढकने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
पहलगाम नरसंहार के बाद शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर
गौरतलब है कि भारत ने 7 मई 2025 की तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत की थी। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश देने के साथ-साथ पाकिस्तान स्थित आतंकी ढांचे और सैन्य सहयोग को निशाना बनाया।
मध्यस्थता के दावों पर भी बोले डार
इशाक डार ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान ने भारत के साथ संघर्ष के दौरान किसी तरह की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग नहीं की थी। उनके अनुसार, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने खुद नई दिल्ली से संपर्क करने की इच्छा जताई थी। डार ने बताया कि 10 मई की सुबह करीब 8.17 बजे रुबियो ने उन्हें फोन कर यह जानकारी दी कि भारत युद्धविराम के लिए तैयार है और पाकिस्तान की सहमति पूछी गई।
डार के मुताबिक, उन्होंने जवाब में कहा था, “हम कभी युद्ध नहीं चाहते थे।” हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान पाकिस्तान की कूटनीतिक मजबूरी को दर्शाता है, क्योंकि सैन्य दबाव के चलते उसे संघर्ष विराम की ओर बढ़ना पड़ा।
बिना सबूत के बड़े दावे
अपने बयान में डार ने बिना किसी ठोस सबूत के यह दावा भी किया कि 7 मई को हुई हवाई लड़ाई के दौरान पाकिस्तान ने भारत के सात लड़ाकू विमानों को मार गिराया था। भारत की ओर से इस दावे की पुष्टि कभी नहीं की गई। इसके उलट, हाल ही में सामने आई सैटेलाइट तस्वीरों में यह साफ दिखा कि नूर खान एयरबेस पर बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वहां वास्तविक नुकसान हुआ था।
नूर खान एयरबेस इस्लामाबाद से महज 25 किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित है और यह पाकिस्तान की वायुसेना के लिए बेहद अहम ठिकाना माना जाता है। ऐसे में इस बेस पर हमला पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
राष्ट्रपति जरदारी का बयान भी चर्चा में
इससे पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी भी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दे चुके हैं। उन्होंने स्वीकार किया था कि ऑपरेशन के दौरान उनके सैन्य सचिव ने उन्हें बंकर में जाने की सलाह दी थी। एक जनसभा में जरदारी ने कहा, “मेरे पास आकर कहा गया कि युद्ध शुरू हो गया है, बंकरों में चलिए। लेकिन मैंने कहा कि अगर शहादत आनी है तो यहीं आएगी। नेता बंकरों में नहीं, युद्ध के मैदान में मरते हैं।