सोशल मीडिया पर इन दिनों एक आदमी का रोते हुए वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा शख्स बिलखते हुए अपनी आपबीती सुना रहा है कि कैसे उसे दाढ़ी और बाल पकड़कर बुरी तरह पीटा गया। इस वीडियो को उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में हुए 'आई लव मोहम्मद' विवाद के संदर्भ में पेश किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह व्यक्ति बरेली में पत्थरबाज़ी कर रहा था, जिसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने उसकी पिटाई कर दी। यह वीडियो X (पूर्व में ट्विटर) और फेसबुक जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर धड़ल्ले से शेयर किया जा रहा है, जिससे यूज़र्स के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
वायरल वीडियो का यूपी से कोई संबंध नहीं
आजतक फैक्ट चेक ने अपनी जांच में पाया कि इस वीडियो का उत्तर प्रदेश या बरेली की किसी भी घटना से कोई लेना-देना नहीं है। यह वीडियो लगभग फ़रवरी 2025 का है और इसका संबंध बिहार के मधुबनी ज़िले से है।
सच्चाई का खुलासा:
वीडियो की सत्यता जानने के लिए कीवर्ड्स की मदद से इसे सर्च किया गया, जिसके बाद इसका लंबा वर्जन यूट्यूब पर मिला। इस यूट्यूब वीडियो में वायरल हो रहा व्यक्ति अपनी व्यथा सुनाते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के सामने बैठा नज़र आ रहा है। यह स्पष्ट हुआ कि वायरल वीडियो को एडिट करके उसमें से तेजस्वी यादव के हिस्से को क्रॉप कर दिया गया था। यूट्यूब वीडियो के साथ दी गई जानकारी के अनुसार, तेजस्वी यादव उस समय मस्जिद के इमाम से मिलने पहुंचे थे, जिसे पुलिस द्वारा कथित तौर पर पीटा गया था।
बिहार के मधुबनी का है मामला
एबीपी न्यूज़ और ज़ी न्यूज़ में प्रकाशित ख़बरों के मुताबिक, यह घटना 30 जनवरी, 2025 की है। मधुबनी के बेनीपट्टी थाना क्षेत्र के कटैया गांव के रहने वाले मो. फिरोज, जो एक मस्जिद में इमामत करते थे, ने आरोप लगाया था कि वाहन चेकिंग के दौरान कुछ पुलिसकर्मियों ने उनके साथ बेरहमी से मारपीट की। पिटाई से उनके शरीर पर गंभीर चोट के निशान थे। हालांकि, पुलिस ने अपनी सफाई में कहा था कि फिरोज वाहन चेकिंग के दौरान भागने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस ने दावा किया कि बल प्रयोग के कारण उनकी बाइक फिसल गई, जिससे वह गिरकर घिसट गए और उन्हें चोट लगी।
इस घटना के बाद, एसपी के निर्देश पर जांच की गई और कथित रूप से दोषी पाए गए पाँच पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। घायल फिरोज से मिलने के लिए 3 फ़रवरी को तेजस्वी यादव पहुंचे थे। फिरोज ने तेजस्वी को बताया था कि पुलिस की प्रताड़ना इतनी अधिक थी कि वह आत्महत्या करने तक की सोचने लगे थे। यह फ़ैक्ट चेक इस बात की पुष्टि करता है कि बिहार की एक पुरानी घटना से जुड़े वीडियो को भ्रामक दावे के साथ उत्तर प्रदेश की हालिया सांप्रदायिक तनाव की घटना से जोड़कर सोशल मीडिया पर ग़लत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है।