भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद बड़ा फैसला लेते हुए एक बार फिर रेपो रेट में कटौती की घोषणा की है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने जानकारी देते हुए कहा कि ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत (50 बेसिस पॉइंट) की कटौती की गई है। इस फैसले के साथ अब रेपो रेट घटकर 5.50 प्रतिशत पर आ गया है। यह लगातार तीसरी बार है जब रेपो रेट में कमी की गई है। इसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा, क्योंकि लोन की ईएमआई पर इसका प्रभाव पड़ता है।
रेपो रेट कटौती का सीधा असर: राहत की उम्मीद
रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती से अब होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरें सस्ती हो जाएंगी। यानी अब ग्राहकों की मासिक किस्त (EMI) में कमी आएगी। ऐसे समय में जब महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, आरबीआई का यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए भारत में मांग को बनाए रखने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए यह कदम जरूरी था। साथ ही उन्होंने बताया कि महंगाई को लेकर अनुमान 3.7 प्रतिशत रखा गया है, जो पहले के अनुमान से कम है।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर भारत का केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई, देश के वाणिज्यिक बैंकों को कम समय के लिए कर्ज देता है। जब बैंकों को नकदी (Liquidity) की जरूरत होती है, तब वे अपने पास मौजूद सरकारी सिक्योरिटी गिरवी रखकर आरबीआई से ऋण लेते हैं। इस ऋण पर जो ब्याज दर लगती है, उसे रेपो रेट कहा जाता है।
इसमें कमी का मतलब है कि बैंकों को सस्ता ऋण मिलेगा, जिससे वे ग्राहकों को सस्ते ब्याज पर लोन देने में सक्षम होंगे। नतीजतन, आम आदमी को लोन की ईएमआई में राहत मिलती है और बाजार में मांग बढ़ती है।
अन्य बड़ी घोषणाएं:
एमपीसी बैठक में केवल रेपो रेट ही नहीं, बल्कि अन्य प्रमुख नीतिगत दरों में भी बदलाव किए गए हैं:
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SDF (Standing Deposit Facility) रेट को 5.75% से घटाकर 5.25% किया गया है।
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MSF (Marginal Standing Facility) रेट को 6.25% से घटाकर 5.75% किया गया है।
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रिजर्व रेशियो (CRR) को 4% से घटाकर 3% कर दिया गया है यानी 100 बेसिस पॉइंट की कटौती।
इन फैसलों से बैंकों को नकदी की स्थिति बेहतर करने में मदद मिलेगी, जिससे वे अधिक लोन बांट सकेंगे और आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाई जा सकेगी।
क्यों जरूरी थी ये कटौती?
आरबीआई के अनुसार, वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और अमेरिका तथा यूरोप के वित्तीय संकट की आशंकाओं के बीच भारत में आर्थिक संतुलन बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है।
पिछले कुछ महीनों में भारत में मुद्रास्फीति (महंगाई दर) में कमी जरूर आई है, लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को महंगे उत्पादों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए आरबीआई ने तय किया कि ब्याज दरों में राहत देकर घरेलू खपत को बढ़ाया जाए।
क्या होगा आम जनता पर असर?
इस फैसले का सबसे बड़ा असर बैंक ग्राहकों पर होगा। जिन लोगों ने बैंक से होम लोन या कार लोन लिया है, उनकी ईएमआई में अब सीधे कटौती की जाएगी। इसके अलावा जिन लोगों ने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, उन्हें इसका तत्काल लाभ मिलेगा।
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घर खरीदने वाले लोगों के लिए यह अच्छा समय हो सकता है।
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नई कार या टू-व्हीलर लोन लेना सस्ता पड़ेगा।
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ब्याज दर घटने से उद्योगों और व्यापारियों को भी राहत मिलेगी, जिससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
निष्कर्ष:
रेपो रेट में लगातार तीसरी बार की गई कटौती इस बात का संकेत है कि आरबीआई देश में आर्थिक गतिविधियों को गति देना चाहता है। इसके पीछे प्रमुख मकसद है – महंगाई को काबू में रखते हुए बाजार में लिक्विडिटी को बढ़ाना और लोगों की क्रय शक्ति को बनाए रखना।
अगले कुछ महीनों में यदि महंगाई और ज्यादा नियंत्रण में आती है, तो यह संभव है कि आरबीआई और भी राहत दे। फिलहाल आम लोगों को इस फैसले से राहत की सांस जरूर मिली है।