चुनाव आयोग (ECI) की ओर से चलाए जा रहे वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) पर बढ़ते काम के बोझ और हाल में सामने आए आत्महत्या के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है।
गुरुवार को हुई सुनवाई में, मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे BLOs के काम को आसान बनाने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तुरंत तैनाती करें।
ECI के दावे पर CJI का सवाल
सुनवाई के दौरान, चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि एक BLO को अधिकतम 30 दिनों में केवल 1200 फॉर्म ही भरने होते हैं, इसलिए इसे 'अत्यधिक दबाव' नहीं कहा जा सकता।
इस पर CJI सूर्यकांत ने तुरंत सवाल दागा, "क्या 10 फॉर्म एक दिन का बोझ हैं?"
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने CJI के सवाल का जवाब देते हुए दबाव की वास्तविक स्थिति को सामने रखा। उन्होंने कहा, "सर, यह 40 फॉर्म पड़ते हैं।" सिब्बल ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक BLO को बिना लिफ्ट वाली इमारत में हर मंज़िल पर चढ़कर 100 लोगों से मिलना होता है, जो कि 'मेहनत का काम' है।
वहीं, चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने टिप्पणी की कि 70 साल की उम्र में भी लोग सीढ़ियां चढ़ सकते हैं और यह पूरा मुद्दा 'अनावश्यक राजनीतिक बहस' बनाया जा रहा है।
इस तर्क पर असहमति जताते हुए, कोर्ट ने टिप्पणी की कि अगर BLO को फील्ड में दिक्कत हो रही है तो राज्यों का दायित्व है कि वे अतिरिक्त कर्मचारी उपलब्ध कराकर उनकी मदद करें।
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश: सपोर्ट स्टाफ अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में साफ किया कि राज्य सरकारों और राज्य चुनाव आयोगों की तरफ से ECI को सौंपे गए कर्मचारी अपने वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए बाध्य हैं।
मगर, यदि उन पर काम का दबाव अधिक है, तो राज्यों को तुरंत सपोर्ट स्टाफ उपलब्ध कराना होगा ताकि BLOs पर से अनावश्यक भार कम हो सके और वे अपने काम को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें।
बिहार SIR का नतीजा और CJI की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान, CJI सूर्यकांत ने बिहार में SIR के नतीजों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि पुनरीक्षण प्रक्रिया में न तो किसी घुसपैठिए का और न ही किसी फर्जी वोटर का पता चला।
CJI ने कहा, "यह राहत की बात है क्योंकि हम भी विदेशियों और फेक वोटरों को लेकर चिंतित थे। SIR ने इन आशंकाओं को दूर किया है।"
इसके अतिरिक्त, BLOs की मौत के मामलों पर कोर्ट ने संवेदनशील टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि रिपोर्ट किए गए आत्महत्या के मामलों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, और राज्यों को तुरंत स्थितियां सुधारनी होंगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप से यह स्पष्ट हो गया है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य में मानवीय पहलू और कार्यबल की मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।