भारत सरकार ने एक बड़ा और कड़ा कदम उठाते हुए देशभर में चल रहे 25 OTT प्लेटफॉर्म्स और मोबाइल ऐप्स को बैन कर दिया है। इन प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट प्रसारित करने का गंभीर आरोप है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से इन ऐप्स और वेबसाइट्स को ब्लॉक करने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISPs) को निर्देश दिया गया है कि वे आदेश का सख्ती से पालन करें, अन्यथा उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहा है सरकार ने?
सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि केंद्र सरकार गैर-कानूनी, अश्लील और समाज विरोधी डिजिटल कंटेंट के सख्त खिलाफ है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ऐसे प्लेटफॉर्म्स की पहचान कर सूचीबद्ध किया और उनके खिलाफ IT अधिनियम 2000 और 2021 के तहत कार्रवाई की। इस कदम का उद्देश्य भारत में स्वस्थ, नैतिक और पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देना है।
सरकार के अनुसार, ये ऐप्स और वेबसाइट्स भारतीय कानून के तहत:
-
IT एक्ट 2000 की धारा 67 और 67A
-
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 294
-
महिला अश्लील चित्रण निषेध अधिनियम 1986 की धारा 4
का उल्लंघन कर रही थीं। ऐसे में इन पर तुरंत प्रतिबंध लगाना आवश्यक था।
किन प्लेटफॉर्म्स को बैन किया गया?
हालांकि सरकार ने सभी 25 ऐप्स और वेबसाइट्स के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन कुछ OTT प्लेटफॉर्म्स जैसे Ullu App का नाम सामने आया है, जिन पर अश्लील सामग्री दिखाने के आरोप पहले से लगते रहे हैं। कुल मिलाकर:
को ब्लॉक किया गया है। इसके अलावा, ISPs को इन लिंक और एप्लिकेशन तक यूज़र एक्सेस बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।
आदेश का उल्लंघन हुआ तो क्या होगा?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई इंटरनेट सेवा प्रदाता इस आदेश का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ भी IT एक्ट की धारा 79(1) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, इस तरह के प्लेटफॉर्म्स को दोबारा शुरू करने या नया नाम लेकर वापस आने की कोई छूट नहीं दी जाएगी।
यह पहली बार नहीं है
यह कदम पहली बार नहीं उठाया गया है। मार्च 2024 में भी सरकार ने इसी तरह की सख्ती दिखाते हुए:
को ब्लॉक किया था। उस समय भी आरोप था कि इन पर महिलाओं को अपमानजनक तरीके से दिखाया जा रहा था और समाज में गलत संदेश फैल रहा था।
क्यों उठाया गया यह कदम?
सरकार के इस फैसले के पीछे कई वजहें हैं:
-
सांस्कृतिक पतन की रोकथाम: OTT प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ता अश्लील और अनैतिक कंटेंट देश के युवाओं और समाज को गलत दिशा में ले जा रहा है।
-
महिलाओं की गरिमा की रक्षा: कई कंटेंट में महिलाओं को अपमानजनक रूप में दिखाया गया, जिससे उनकी सामाजिक छवि को ठेस पहुंचती है।
-
कानूनों का उल्लंघन: भारत में डिजिटल कंटेंट को लेकर स्पष्ट कानून हैं, जिनका पालन हर डिजिटल मीडिया को करना होता है।
-
बच्चों और किशोरों की सुरक्षा: OTT प्लेटफॉर्म्स पर बिना आयु सीमाओं के आपत्तिजनक कंटेंट की उपलब्धता नवयुवाओं की मानसिकता पर गलत प्रभाव डाल रही थी।
OTT इंडस्ट्री पर क्या असर होगा?
OTT इंडस्ट्री पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है और उसने सिनेमा व टीवी की दुनिया में एक नया आयाम जोड़ा है। लेकिन कुछ प्लेटफॉर्म्स ने "फ्रीडम ऑफ क्रिएटिविटी" के नाम पर फ्रीडम ऑफ अश्लीलता को बढ़ावा देना शुरू कर दिया था। इससे न केवल इंडस्ट्री की छवि खराब हो रही थी, बल्कि अन्य ईमानदार कंटेंट क्रिएटर्स को भी नुकसान पहुंच रहा था।
सरकार का यह कदम OTT इंडस्ट्री को जवाबदेही और नैतिकता की ओर ले जाने का प्रयास है। इससे नए प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी मिलेगी कि अगर वे कानूनों और सामाजिक मूल्यों का उल्लंघन करते हैं, तो सरकार उन्हें बख्शेगी नहीं।
निष्कर्ष
OTT प्लेटफॉर्म्स पर सरकारी शिकंजा भारत में डिजिटल नैतिकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला स्पष्ट करता है कि डिजिटल स्वतंत्रता के नाम पर समाज में विष घोलने की छूट किसी को नहीं दी जाएगी। यह कदम आने वाले समय में सभी डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के लिए एक मार्गदर्शक बन सकता है कि वे अपनी सीमाओं को समझें और नैतिक जिम्मेदारी के साथ डिजिटल माध्यमों का उपयोग करें।
जनता को भी चाहिए कि वे ऐसे प्लेटफॉर्म्स का बहिष्कार करें जो समाज, संस्कृति और मूल्यों के खिलाफ सामग्री परोसते हैं। सरकार का यह निर्णय देश में स्वस्थ डिजिटल वातावरण तैयार करने की दिशा में एक बड़ा और आवश्यक कदम है