गुवाहाटी, असम: असम विधानसभा ने बहुविवाह (Polygamy) पर प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक विधेयक पारित कर दिया है। यह कानून राज्य में बहुपत्नी विवाह की प्रथा को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस विधेयक को राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की दिशा में पहला कदम बताया है। 'असम बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' के तहत, अगर कोई व्यक्ति बहुविवाह का दोषी पाया जाता है, तो उसे सात साल तक की जेल की सजा हो सकती है। इसके साथ ही, कानून में पीड़ित पक्ष को ₹1.40 लाख तक का मुआवजा देने का भी प्रावधान शामिल किया गया है।
सीएम सरमा ने बताया UCC की ओर पहला कदम
विधेयक को पारित करने से पहले विधानसभा में इस पर विस्तृत चर्चा हुई। इस मौके पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया कि यह कानून केवल बहुविवाह को रोकने का ही नहीं, बल्कि एक व्यापक उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास है। सीएम सरमा ने घोषणा की, “'असम प्रोहिबिशन ऑफ पॉलीगैमी बिल, 2025' उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पास किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) बिल की तरह ही राज्य में नया कानून लाने की दिशा में पहला कदम है।” उन्होंने राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करते हुए आगे कहा कि अगर वह असम में दोबारा सत्ता में आते हैं, तो पहले सत्र में हम असम में यूसीसी लाएंगे।
सजा और जुर्माने के कड़े प्रावधान
विधेयक में 'बहुविवाह' को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। बहुविवाह का तात्पर्य ऐसे विवाह से है, जब दोनों पक्षों में से किसी एक का पहले से ही कानूनी रूप से मान्य विवाह हो चुका हो, या उसका जीवनसाथी अभी भी जीवित हो, और उनका तलाक कानूनी रूप से न हुआ हो, या उनका विवाह कानूनी रूप से रद्द या शून्य घोषित न हुआ हो। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि बहुविवाह को दंडनीय अपराध माना जाएगा। इसके दोषी को कानून के अनुसार सात वर्ष तक के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है। इसके अलावा, कानून में एक और कड़ा प्रावधान शामिल है: यदि कोई व्यक्ति अपनी मौजूदा शादी को छिपाकर दूसरी शादी करता है, तो उसे 10 साल के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है। ये प्रावधान इस कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के राज्य सरकार के इरादे को दर्शाते हैं।
कुछ समुदायों को मिली छूट
मिली जानकारी के अनुसार, इस विधेयक के प्रावधान छठी अनुसूची के क्षेत्रों और किसी भी अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्यों पर लागू नहीं होंगे। इस छूट का उद्देश्य इन विशिष्ट क्षेत्रों और समुदायों की पारंपरिक और सांस्कृतिक प्रथाओं का सम्मान करना है, जब तक कि राज्य व्यापक समान नागरिक संहिता (UCC) नहीं ले आता। इस बिल का मुख्य उद्देश्य राज्य में बहुविवाह और बहुपत्नी विवाह की प्रथाओं को रोकना और उन्हें जड़ से खत्म करना है, जिससे महिलाओं को सामाजिक और कानूनी सुरक्षा मिल सके। विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमरी की अनुमति के बाद, राज्य के गृह और राजनीतिक मामलों के विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे मुख्यमंत्री सरमा ने 'असम बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' पेश किया था।
सीएम सरमा ने अंत में अपनी बात दोहराई कि अगर अगले साल होने वाले राज्य चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सत्ता में आती है, तो यूसीसी बिल पहले विधानसभा सत्र में पूरी तरह से पास हो जाएगा, जो इस बहुविवाह निषेध अधिनियम का विस्तार होगा।