शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्ट्रीट डॉग्स यानी आवारा कुत्तों को लेकर एक बड़ा और अहम आदेश जारी किया है, जो देशभर के लिए लागू होगा। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने स्पष्ट किया कि रेबीज से संक्रमित या अत्यंत आक्रामक कुत्तों को छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसे कुत्तों को विशेष शेल्टर होम में रखा जाएगा, ताकि वे आम जनता के लिए खतरा न बनें।
पूरे देश के लिए आदेश लागू
सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में साफ किया कि यह फैसला केवल दिल्ली-एनसीआर के लिए नहीं, बल्कि पूरे भारत में लागू होगा। कोर्ट के निर्देश के अनुसार, शेल्टर होम में बंद सभी कुत्तों को छोड़ा जाएगा, लेकिन वे कुत्ते जिन्हें नगर निगम पकड़ता है, उन्हें नसबंदी के बाद ही वापस छोड़ा जाएगा। इस तरह, आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रण में रखी जाएगी और उनकी देखभाल सुनिश्चित होगी।
जुर्माने की सजा और सख्ती
कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर कोई व्यक्ति या एनजीओ इस आदेश में बाधा डालता है या इसे लागू करने में रुकावट पैदा करता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने डॉग लवर्स और संबंधित एनजीओ से भी यह कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में कुछ राशि जमा करें। कोर्ट के आदेश के मुताबिक, डॉग लवर्स को 25,000 रुपये और एनजीओ को 2 लाख रुपये कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने होंगे। यह रकम सात दिनों के अंदर जमा कराना अनिवार्य है। अगर कोई इसे पूरा नहीं करता है, तो उसे अगली सुनवाई में कोर्ट में पेश होने की अनुमति नहीं मिलेगी।
डॉग लवर्स में मिली मिली-जुली प्रतिक्रिया
देशभर में पिछले कई दिनों से डॉग लवर्स इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी कोर्ट के बाहर डॉग लवर्स की अच्छी-खासी भीड़ मौजूद थी। हालांकि वे इस आदेश से खुश नजर आए, क्योंकि कोर्ट ने आवारा कुत्तों की सुरक्षा के साथ-साथ लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखा है। आदेश में एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया गया है, जिसमें कुत्तों के लिए उचित देखभाल और लोगों की सुरक्षा दोनों सुनिश्चित हों।
आवारा कुत्तों को खाना कहां दिया जाएगा?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सार्वजनिक जगहों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लग गई है। अब आवारा कुत्तों को खाना देने के लिए विशेष स्थान तय किए जाएंगे, जो आपके घर या ऑफिस के पास होंगे। इन स्थानों को स्थानीय नगर निगम और आरडब्ल्यूए मिलकर चिन्हित करेंगे। इससे न केवल आवारा कुत्तों की देखभाल बेहतर होगी, बल्कि सार्वजनिक स्वच्छता और सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।
आदेश को लेकर याचिकाकर्ता की प्रतिक्रिया
इस आदेश पर याचिकाकर्ता ननीता शर्मा ने भी संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि अब अदालतों में आवारा कुत्तों से जुड़ी कई लंबित याचिकाएं समाप्त हो जाएंगी और इस आदेश को स्थानीय नगर निगम के साथ मिलकर प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश आवारा कुत्तों को लेकर एक संतुलित और जिम्मेदार फैसला है। इसमें कुत्तों की सुरक्षा, उनकी नसबंदी, आक्रामक कुत्तों की अलग देखभाल और जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखा गया है। साथ ही, इस आदेश से यह भी संदेश जाता है कि जानवरों के प्रति दया और जिम्मेदारी दोनों आवश्यक हैं। स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी अहम होगी, जो इस आदेश को जमीन पर लागू करके आवारा कुत्तों की सही देखभाल सुनिश्चित करेगा। इससे भारत में आवारा कुत्तों का प्रबंधन बेहतर तरीके से हो सकेगा और लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।