मध्य प्रदेश पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई में अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी के छोटे भाई हमूद अहमद सिद्दीकी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया है। हमूद पिछले लगभग 25 सालों से फरार चल रहा था और उस पर 10 हज़ार रुपये का इनाम भी घोषित था। उसकी गिरफ्तारी कई साल पुराने, लंबित चल रहे तीन गंभीर निवेश धोखाधड़ी के मामलों में की गई है।
25 साल पुरानी धोखाधड़ी की कहानी
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, हमूद अहमद सिद्दीकी पर मध्य प्रदेश के महू में लगभग 1995 के आसपास लोगों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने का आरोप है।
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निवेश कंपनी: हमूद ने महू में एक फर्जी निवेश कंपनी शुरू की थी।
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लालच: उसने भोले-भाले लोगों को उनके जमा किए गए पैसे पर 20% तक का भारी ब्याज देने का लालच दिया। पुलिस के मुताबिक, उसने "फर्जी बैंक" बनाकर लोगों को पैसे दोगुने करने के सपने दिखाए।
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फरार: उसकी यह कंपनी लगभग दो साल तक चली, लेकिन 2000 के आसपास वह अपने पूरे परिवार के साथ रातों-रात महू से गायब हो गया, जिससे सैकड़ों निवेशक अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई गंवा बैठे।
महू में हमूद के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और अन्य संबंधित धाराएं लगाई गई थीं। इसके अलावा, उसके खिलाफ 1988 और 1989 में दंगा और हत्या के प्रयास के दो अन्य पुराने मामले भी दर्ज थे।
गिरफ्तारी और आगे की जांच
हमूद सिद्दीकी की गिरफ्तारी एक विशेष ऑपरेशन के तहत की गई, क्योंकि वह कई सालों से अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था।
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गिरफ्तारी की जगह और गतिविधि: गिरफ्तारी के समय, हमूद हैदराबाद में स्टॉक मार्केट निवेश से जुड़ी एक निजी कंपनी चला रहा था।
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पुलिस की कार्रवाई: महू के SDOP ने बताया कि उसकी गिरफ्तारी से वर्षों से लंबित पड़े धोखाधड़ी के मामलों की जांच में अब तेज़ी आएगी।
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जांच का कारण: यह गिरफ्तारी तब संभव हुई जब पुलिस ने लाल किला ब्लास्ट मामले के कारण सुर्खियों में आए अल फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद सिद्दीकी की पृष्ठभूमि की जांच शुरू की, जिससे उनके भाई हमूद के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड सामने आए।
पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन तमाम सालों तक फरार रहने के दौरान हमूद की गतिविधियां क्या थीं, उसने कहाँ-कहाँ शरण ली, और कौन-से लोग उसकी मदद कर रहे थे।
अल फलाह यूनिवर्सिटी क्यों है सुर्खियों में?
चांसलर के भाई की गिरफ्तारी के साथ ही, अल फलाह यूनिवर्सिटी भी इन दिनों कई गंभीर कारणों से चर्चा में है:
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लाल किला ब्लास्ट कनेक्शन: यह यूनिवर्सिटी दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए धमाके की जांच में सुर्खियां बटोर रही है, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी। इस ब्लास्ट का मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी इसी यूनिवर्सिटी का छात्र था।
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चांसलर को नोटिस: दिल्ली पुलिस ने यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद सिद्दीकी को दो बार नोटिस भेजा है। पुलिस को यूनिवर्सिटी के वित्तीय लेनदेन और अन्य रिकॉर्ड में कुछ गंभीर विसंगतियां मिली हैं, जिन्हें साफ करने के लिए चांसलर का बयान आवश्यक माना गया है।
पुलिस अब इस बात की भी गहन जांच कर रही है कि कहीं यूनिवर्सिटी से जुड़े अन्य लोग भी किसी संदिग्ध या गैरकानूनी गतिविधि में शामिल तो नहीं थे।