मुंबई, 21 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान में बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा को तीन साल की सजा मिलने के बावजूद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द न करने के मामले ने राजनीतिक गरमाहट बढ़ा दी है। कांग्रेस ने अब इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने स्पष्ट किया है कि यदि बुधवार तक विधानसभा अध्यक्ष इस पर कोई निर्णय नहीं लेते हैं, तो पार्टी कोर्ट की अवमानना (कंटेम्प्ट) याचिका दाखिल करेगी। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक मामला नहीं है, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की गरिमा का सवाल है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा मिलने पर 24 घंटे के भीतर सदस्यता समाप्त कर दी गई थी, तो कंवरलाल मीणा जैसे मामलों में अलग मापदंड क्यों अपनाए जा रहे हैं।
टीकाराम जूली ने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पर पक्षपात के आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान में कानून व्यवस्था को ताक पर रख दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिस दिन कंवरलाल मीणा ने बतौर सजायाफ्ता कैदी कोर्ट में सरेंडर किया, वह राजस्थान विधानसभा के इतिहास का सबसे शर्मनाक दिन था। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि एक मौजूदा विधायक को सजा मिलने के बाद भी सदस्यता कायम रखी गई हो। कांग्रेस नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि विधानसभा में समितियों के सभापति मनमाने ढंग से बदले जा रहे हैं और भाजपा विधायकों को संरक्षण दिया जा रहा है। जूली ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत सजा के बाद तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने 20 दिन तक कोई फैसला नहीं लिया, जिससे विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुंची है।
वहीं, डोटासरा ने भी स्पीकर सीपी जोशी पर निष्पक्षता न बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब बाड़मेर के एक विधायक के खिलाफ एसीबी की एफआईआर होते ही मामले को सदाचार कमेटी को भेजा गया और उस पर तुरंत कार्रवाई शुरू की गई, तो फिर कंवरलाल मीणा पर ऐसी लापरवाही क्यों? उन्होंने यह भी पूछा कि स्पीकर किस दबाव में निर्णय टाल रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने दो टूक कहा कि वे इस मुद्दे को नहीं छोड़ेंगे और विधानसभा की गरिमा को बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे। अब सभी की नजरें विधानसभा अध्यक्ष पर टिकी हैं कि वे इस मामले में क्या फैसला लेते हैं।