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जहरीले कफ सिरप से देश में हड़कंप, 25 बच्चों की मौत के बाद सख्त हुई सरकार, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, October 9, 2025

मुंबई, 09 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप पीने से अब तक 25 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस गंभीर मामले के बाद केंद्र सरकार ने देशभर में सिरप बनाने वाली दवा कंपनियों की जांच कराने का फैसला किया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से उन कंपनियों की सूची मांगी है जो सिरप का उत्पादन कर रही हैं, ताकि उनकी क्वालिटी और सुरक्षा की जांच की जा सके। सरकार ने कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश-टीआर और रिलाइफ नाम के तीन सिरप की बिक्री और उत्पादन पर रोक लगा दी है।

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि दवा बनाने से पहले कच्चे माल और तैयार उत्पादों की जांच अनिवार्य रूप से की जाए। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कई कंपनियां हर बैच की क्वालिटी जांच पूरी तरह से नहीं कर रहीं, जिससे दवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इस बीच, मध्य प्रदेश की एसआईटी टीम ने चेन्नई से कोल्ड्रिफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा के डायरेक्टर गोविंदन रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया है। टीम ने फैक्ट्री से दवाओं के नमूने और जरूरी दस्तावेज जब्त किए हैं।

मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है, जिसमें इस पूरी घटना की जांच सीबीआई या किसी विशेषज्ञ समिति से कराने की मांग की गई है। अदालत शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगी। अब तक किसी भी राज्य ने सुधारात्मक और निवारक कार्रवाई (CAPA) गाइडलाइन का पूरी तरह पालन नहीं किया है। यह गाइडलाइन दवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए बनाई गई थी। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को ऑनलाइन नेशनल ड्रग्स लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLS) पर रजिस्ट्रेशन करने का निर्देश दिया है, जिससे दवाओं से जुड़े लाइसेंस और अनुमति ऑनलाइन मिल सकें।

तमिलनाडु की जांच समिति ने श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स की फैक्ट्री में 350 से ज्यादा खामियां पाई हैं। इन खामियों को ‘क्रिटिकल’ और ‘मेजर’ श्रेणी में रखा गया है। राज्य सरकार ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पांच दिन में जवाब देने को कहा है। जांच में खुलासा हुआ कि कंपनी ने कोल्ड्रिफ सिरप में नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का उपयोग किया था, जो डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायनों से दूषित था। लैब रिपोर्ट में पाया गया कि सिरप के एक बैच में 48.6% DEG मौजूद था, जो इसे ‘नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी’ घोषित करने के लिए पर्याप्त था।

बच्चों की मौत के बाद कोल्ड्रिफ (बैच नंबर SR-13) और नेक्स्ट्रो-डीएस (बैच नंबर AQD-2559) सिरप को प्रतिबंधित कर दिया गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने इंदौर स्थित आर्क फार्मास्यूटिकल्स की ‘डिफ्रॉस्ट’ सिरप को भी बाजार से हटाने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने दवा निर्माण में क्लोरफेनिरामाइन मलेट और फिनाइलफ्रिन एचसीएल जैसे रसायनों के इस्तेमाल को लेकर विशेष सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं। यह मामला न केवल दवा उद्योग में निगरानी की कमी को उजागर करता है, बल्कि देश में दवा सुरक्षा मानकों पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। बच्चों की जान लेने वाली इस घटना के बाद सरकार की कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि अब दवा निर्माण प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनेगी।


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