झांसी न्यूज डेस्क: झांसी की अर्किल मटर अब सिर्फ बुंदेलखंड तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे देश में अपनी मिठास और स्वाद के लिए जानी जाने लगी है। बुंदेलखंड की उपजाऊ मिट्टी में उगने वाली यह हरी फसल किसानों की उम्मीद, मेहनत और गर्व का प्रतीक बन चुकी है। हर सर्दी में झांसी के खेतों में लहलहाती मटर की बालियां न सिर्फ हरियाली दिखाती हैं, बल्कि इलाके की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देती हैं।
झांसी की मिट्टी में प्राकृतिक मिठास है, जो यहां उगने वाली मटर को अलग बनाती है। स्थानीय किसान बताते हैं कि मिट्टी की नमी और जलवायु मटर की खेती के लिए बिल्कुल सही है। दिन में हल्की धूप और रात में ठंडी हवा मटर के स्वाद और गुणवत्ता को बढ़ाती है। यही वजह है कि झांसी की मटर का स्वाद न सिर्फ उत्तर प्रदेश में, बल्कि पूरे देश में सराहा जाता है।
किसान मटर की खेती लंबे समय से करते आ रहे हैं। उनके अनुभव और पारंपरिक तरीके इस फसल की पहचान बन गए हैं। किसान कहते हैं, “हमारे खेतों में उगने वाली मटर की खुशबू और स्वाद दोनों ही अलग हैं। दूसरे राज्यों के खरीदार इसे ‘झांसी स्वीट पीज़’ के नाम से पहचानते हैं। हर दाने में हमारे पसीने और मिट्टी की महक समाई हुई है।”
बाजार में मटर की मांग लगातार बढ़ रही है। दिल्ली, मुंबई, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के व्यापारी सर्दियों में झांसी की मटर खरीदने आते हैं। उच्च गुणवत्ता और मीठे स्वाद के कारण किसानों को अच्छा मूल्य मिलता है और स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। अगर झांसी की मटर को जीआई टैग मिले, तो यह फसल अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना सकती है और बुंदेलखंड की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर सकती है।