झांसी न्यूज डेस्क: कला को सही मंच मिलने में समय लग सकता है, लेकिन एक सच्चा कलाकार कभी हार नहीं मानता। झांसी पुलिस में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में कार्यरत रामदेव की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। रामदेव की नौकरी पेंटर के तौर पर लगी थी, लेकिन समय के साथ वह इस काम से दूर होते गए और पुलिस विभाग में अन्य कार्यों में व्यस्त हो गए। पेंटिंग उनकी प्रतिभा थी, लेकिन इसे सामने आने में वर्षों लग गए। हाल ही में उनकी बनाई पेंटिंग्स की एक प्रदर्शनी लगाई गई, जिससे उनके छिपे हुए हुनर को पहचान मिली।
रामदेव बताते हैं कि उन्होंने अब तक करीब एक हजार पेंटिंग बनाई हैं। 1994 में उन्होंने पहली बार पेंटिंग बनाई थी और शुरुआत में अपनी दुकान में यह काम करते थे। वह हर तरह की पेंटिंग बनाने में माहिर थे, खासकर देवी-देवताओं की कलाकृतियां उन्हें बेहद पसंद थीं। झांसी में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उनके टैलेंट को पहचाना और उन्हें पुलिस विभाग में पेंटर के रूप में नौकरी दिलवाई। हालांकि, बाद में उनकी जिम्मेदारियां बदल गईं, और वह पेंटिंग से दूर हो गए।
रामदेव को इस बात का कोई मलाल नहीं कि उनकी कला को पहचान मिलने में देरी हुई। उनका कहना है कि अब जब उन्हें यह मौका मिला है, तो वह इसे पूरी तरह भुनाएंगे। वह बुंदेलखंड के अलग-अलग जिलों में अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगाने की योजना बना रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके हुनर से रूबरू हो सकें। इसके अलावा, रिटायरमेंट के बाद वह अपना पेंटिंग का व्यापार फिर से शुरू करेंगे। हाल ही में झांसी की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधा सिंह ने उनकी कला को पहचानते हुए उनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगवाई, जिससे उनके टैलेंट को नई पहचान मिली।