अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस‑यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने और रूस की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के लिए रूस से तेल खरीदने वाले यूरोप और नाटो देशों पर दबाव बढ़ा दिया है। ट्रम्प ने स्पष्ट कहा है कि यदि ये देश रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे, तो अमेरिका उनसे भी सख्त आर्थिक और वाणिज्यिक उपाय करेगा।
क्या कहा ट्रम्प ने?
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ट्रम्प ने कहा है: “Europe is buying oil from Russia. I don’t want them to buy oil — and the sanctions that they’re putting on are not tough enough.” यानी उनका मानना है कि जो प्रतिबंध यूरोप ने लगाए हैं, वे पर्याप्त कड़े नहीं हैं
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उन्होंने नाटो (NATO) देशों से अपील की है कि वे रूस से तेल की खरीद बंद करें।
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ट्रम्प ने यह भी कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर ज़ेलेंस्की को युद्ध को रोकने के लिए वार्ता की पहल करनी चाहिए।
प्रस्तावित नीतियाँ और दबाव
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ट्रम्प ने नाटो देशों से कहा है कि यदि वे रूस से तेल नहीं खरीदेंगे, तो अमेरिका नए प्रतिबंध लगाएगा।
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साथ ही चीन और भारत जैसे देशों के लिए भी दायरा बढ़ाने की चेतावनी दी गई है — जहाँ से रूस को अभी भी तेल निर्यात हो रहा है
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ट्रम्प ने कहा है कि रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करना जरूरी है जिससे युद्ध‑विरोधी दबाव बढ़े।
यूरोप और संधर्शन की स्थिति
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यूरोपीय संघ (EU) ने पहले ही योजना बनाई है कि वह 2028 तक रूस से फॉसिल ईंधन (तेल और गैस) आयात को क्रमशः बंद कर देगा। लेकिन ट्रम्प ने कहा है कि यह प्रक्रिया “बहुत धीमी है”, और वह चाहता है कि यूरोप त्वरित कदम उठाए।
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पोलैंड ने प्रस्ताव रखा है कि EU‑देश रूस से तेल की खरीद को 2026 तक पूरी तरह बंद कर दें। ट्रम्प के प्रस्तावों और मतों के बीच इस तरह की मांगें और चर्चाएँ बढ़ रही हैं।
विरोध और चुनौतियाँ
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कुछ यूरोपीय देश जैसे हंगरी और स्लोवाकिया अभी भी रूस से तेल या ऊर्जा आयात कर रहे हैं, वे ये कहकर कि उनके पास वैकल्पिक स्रोत सीमित हैं।
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इसके अलावा तेल की आपूर्ति, कीमत, ऊर्जा सुरक्षा जैसे आर्थिक और भौगोलिक कारक हैं जो तुरंत रूस से आयात बंद करना मुश्किल बनाते हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प का यह शोर और दबाव राजनीति और भू‑राजनीति दोनों के लिहाज से मायने रखता है। उनका कहना है कि रूस से तेल ख़रीदने वाले देश युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि यह रूस की युद्ध‑योजनाओं को वित्तीय रूप से सहारा देता है। ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की को समझौता करने का आग्रह किया है, और साथ ही यूरोप और नाटो देशों से कहा है कि प्रतिबंधों को कड़ा करें और रूस से तेल खरीदना बंद करें।
यह मामला सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं है, क्योंकि ट्रम्प प्रशासन ने कुछ देशों पर पहले से ही टैरिफ या अन्य आर्थिक प्रोत्साहन व चुनौतियाँ बढ़ाने की चेतावनियाँ दी हैं। अब देखना होगा कि यूरोप इस दबाव का कैसे जवाब देता है — क्या वे अपनी ऊर्जा नीतियों में बदलाव लायेंगे, और रूस से आयात को समाप्त करने की दिशा में कार्रवाई त्वरित होगी या नहीं।