रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान की दिशा में वैश्विक कूटनीति इस समय अपने सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सक्रियता ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लीविट के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को लगातार दूसरे दिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस बातचीत को "सकारात्मक और फायदेमंद" बताया गया है।
यह कूटनीतिक हलचल तब और तेज हो गई जब ट्रंप ने इससे ठीक एक दिन पहले फ्लोरिडा के मार-ए-लागो में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की की मेजबानी की थी।
पुतिन और ट्रंप की बातचीत का महत्व
ट्रंप और पुतिन के बीच लगातार दो दिनों (रविवार और सोमवार) तक हुई बातचीत यह संकेत देती है कि अमेरिका अब युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे रूस के साथ 'डील' की स्थिति में है।
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रविवार की बातचीत: ट्रंप ने इसे "फायदेमंद" करार दिया, जो ज़ेलेंस्की से मिलने से ठीक पहले हुई थी।
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सोमवार की बातचीत: यह बातचीत तब हुई जब रूस ने यूक्रेन द्वारा रखी गई कुछ प्रमुख शर्तों को सिरे से खारिज कर दिया। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पुतिन के घर पर हमले की कोशिश का आरोप लगाकर बातचीत की मेज पर अपनी स्थिति और सख्त कर ली है।
ट्रंप और ज़ेलेंस्की: शिष्टाचार और दबाव का मिला-जुला रुख
मार-ए-लागो में ट्रंप और ज़ेलेंस्की की मुलाकात को "शानदार" बताया गया, लेकिन इसके पीछे के कूटनीतिक संदेश काफी गंभीर थे। ज़ेलेंस्की, जो आमतौर पर अपने सैन्य कपड़ों में नजर आते हैं, इस बार औपचारिक काले सूट में थे।
हालांकि मुलाकात का माहौल शिष्टाचार भरा था, लेकिन ट्रंप के रुख से स्पष्ट था कि वह कीव (यूक्रेन) पर शांति समझौते के लिए दबाव बना रहे हैं। सबसे कठिन सवाल डोनबास और कब्जे वाले इलाकों को लेकर था। ट्रंप ने सुझाव दिया कि चूंकि आने वाले महीनों में स्थिति और बदल सकती है, इसलिए क्या "अभी डील करना" बेहतर नहीं होगा?
क्रेमलिन का रुख और डोनबास का सवाल
रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी यूरी उशाकोव ने भी ट्रंप की बात का समर्थन करते हुए कहा कि फ्रंट लाइन की स्थिति को देखते हुए यूक्रेन के लिए यह समझदारी होगी कि वह डोनबास को लेकर बिना देरी किए फैसला ले। यह बयान स्पष्ट करता है कि रूस अब युद्ध क्षेत्र में अपनी मजबूत स्थिति का फायदा उठाकर बातचीत की शर्तें तय करना चाहता है।
मध्य पूर्व का पेच और इज़राइल से नाराजगी
अपनी 'पीस मेकिंग' कोशिशों के बीच ट्रंप सोमवार को इज़राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से भी मिले। रोचक तथ्य यह है कि ट्रंप प्रशासन गाजा में इज़राइल के हालिया रुख से कुछ हद तक असहज नजर आ रहा है। अमेरिका को लगता है कि लेबनान और सीरिया में इज़राइल की सैन्य कार्रवाई उन प्रयासों को कमजोर कर रही है, जो इस क्षेत्र में सरकारों को स्थिर करने के लिए किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह 'मैराथन कूटनीति' दौर यह साबित करने की कोशिश है कि वह वैश्विक संकटों को सुलझाने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, यूक्रेन के लिए स्थिति नाजुक है, क्योंकि उसे एक तरफ रूस के सैन्य दबाव और दूसरी तरफ अमेरिका के कूटनीतिक दबाव के बीच अपनी संप्रभुता को बचाने की चुनौती है। 2025 का यह अंत संभवतः 2026 में एक बड़े शांति समझौते की नींव रख सकता है।