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चीन में उइगर गाने सुनना हुआ अपराध, डाउनलोड और शेयर करने पर भी होगी जेल

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Posted On:Wednesday, December 31, 2025

शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बीजिंग की दमनकारी नीतियां अब सांस्कृतिक पहचान को पूरी तरह मिटाने के दौर में पहुंच गई हैं। मानवाधिकारों के हनन की इस कड़ी में अब 'संगीत' को भी हथियार बना लिया गया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, शिनजियांग में उइगर भाषा के पारंपरिक लोकगीतों को सुनना या साझा करना अब एक गंभीर अपराध माना जा रहा है, जिसके लिए सीधी जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।

'बेश पेड़े' पर बैन: भावनाओं का गला घोंटने की कोशिश

शिनजियांग प्रशासन की सख्ती का सबसे बड़ा उदाहरण पीढ़ियों पुराने लोकगीत 'बेश पेड़े' पर लगा प्रतिबंध है। उइगर संस्कृति में यह गीत शादियों और पारिवारिक उत्सवों की जान माना जाता है।

  • गीत का सार: यह एक सरल, भावनात्मक गीत है जिसमें एक युवक अपने प्रेम, बेहतर भविष्य और खुशहाल जीवन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।

  • प्रशासन का तर्क: चीन इस गीत को 'संदिग्ध' और 'अलगाववाद' को बढ़ावा देने वाला मानता है, जबकि इसमें हिंसा या कट्टरता का कोई संकेत नहीं है। नॉर्वे स्थित संस्था Uyghur Hjelp के अनुसार, काशगर शहर में हुई पुलिस बैठकों में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि मोबाइल में ऐसे गाने रखना या सोशल मीडिया पर शेयर करना जेल भेजने के लिए पर्याप्त आधार है।

भाषा और अभिवादन पर भी 'कम्युनिस्ट' पहरा

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) केवल गानों तक ही सीमित नहीं है, वह उइगर समुदाय के दैनिक संवाद को भी नियंत्रित कर रही है:

  1. अस्सलामु अलैकुम पर रोक: मुस्लिम समाज के पारंपरिक अभिवादन 'अस्सलामु अलैकुम' के इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जा रहा है।

  2. नारेबाजी में बदलाव: लोगों को 'अल्लाह आपको सुरक्षित रखे' (Allahqa amanet) जैसे वाक्यों की जगह "कम्युनिस्ट पार्टी आपकी रक्षा करे" बोलने के लिए विवश किया जा रहा है।

  3. सांस्कृतिक पहचान का खात्मा: उइगर संगीत निर्माताओं और कलाकारों को सिर्फ अपनी भाषा में कला प्रदर्शन करने के कारण जेलों में डाला जा रहा है। एक स्थानीय संगीत निर्माता को तीन साल की कठोर कैद की सजा इसी नीति का हिस्सा है।


10 लाख लोग और 'मानवता के खिलाफ अपराध'

चीन की इन नीतियों को वैश्विक मंच पर 'सांस्कृतिक नरसंहार' के रूप में देखा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के अनुसार:

  • हिरासत शिविर: 2017 से 2019 के बीच लगभग 10 लाख उइगर, कजाख और किर्गिज अल्पसंख्यकों को 'पुनः शिक्षा शिविरों' (Re-education camps) में रखा गया।

  • UN की रिपोर्ट: 2022 में संयुक्त राष्ट्र ने माना था कि शिनजियांग में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन 'मानवता के खिलाफ अपराध' (Crimes against humanity) की श्रेणी में आ सकते हैं।


चीन का बचाव और वास्तविकता

बीजिंग लगातार इन आरोपों को सिरे से खारिज करता रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय का तर्क है कि ये कदम "आतंकवाद, अलगाववाद और धार्मिक उग्रवाद" को रोकने के लिए जरूरी हैं। चीन इन शिविरों को 'व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र' बताता है। हालांकि, लोकगीतों पर प्रतिबंध और दैनिक अभिवादन को बदलने की कोशिशें यह स्पष्ट करती हैं कि यह लड़ाई केवल आतंकवाद के खिलाफ नहीं, बल्कि एक पूरी संस्कृति की पहचान मिटाने के लिए है।

निष्कर्ष

शिनजियांग में गानों और भाषा पर लगी यह पाबंदी दिखाती है कि अधिनायकवादी शासन किस हद तक व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन कर सकता है। जब एक समाज से उसका संगीत और उसकी भाषा छीन ली जाती है, तो उसकी आत्मा का दमन शुरू हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद, चीन अपनी 'सिनीसाइजेशन' (Sinicization) की नीति पर अडिग है, जो भविष्य में उइगर समुदाय के अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा है।

क्या आप शिनजियांग में निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आधुनिक फे


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