Aaj ka Panchang 06 November 2025: द्रुख पंचांग के अनुसार, आज 6 नवंबर 2025 को मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज से मार्गशीर्ष मास का आरंभ हो रहा है। मार्गशीर्ष भगवान कृष्ण का प्रिय माह है। इस माह में भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। आज मार्गशीर्ष मास के प्रथम दिन आप पंचांग में शुभ-अशुभ योग, नक्षत्र और करण के बारे में जान सकते हैं। आज की सटीक तिथि, नक्षत्र, योग, शुभ मुहूर्त, अशुभ मुहूर्त और ग्रह स्थिति जानने के लिए गुरुवार, 6 नवंबर 2025 का पंचांग देखें।
पंचांग- 06.11.2025
युगाब्द - 5126
संवत्सर - सिद्धार्थ
विक्रम संवत् -2082
शाक:- 1947
ऋतु __ हेमन्त
सूर्य __ दक्षिणायन
मास __ मार्गशीर्ष
पक्ष __ कृष्ण पक्ष
वार __ गुरुवार
तिथि - प्रतिपदा 14:54:14
नक्षत्र कृत्तिका 27:27:02*
योग व्यतिपत 07:03:51
योग वरियान 26:40:31*
करण कौलव 14:54:14
करण तैतुल 24:58:16
चन्द्र राशि मेष till 11:46:14
चन्द्र राशि वृषभ from 11:46
सूर्य राशि - तुला
🚩🌺 आज विशेष 🌺🚩 👉🏻 पद्मक योग
🍁 अग्रिम पर्वोत्सव 🍁
👉🏻 चतुर्थी व्रत
08/11/25 (शनिवार)
👉🏻 कालाष्टमी
12/11/25 (बुधवार)
👉🏻 उत्पन्ना/ वैतरणी एकादशी
15/11/25 (शनिवार)
👉🏻 प्रदोष व्रत
17/11/25 (सोमवार)
👉🏻 पितृ अमावस
19/11/25 (बुधवार)
👉🏻 देवकार्य अमावस
20/11/25 (गुरुवार)
🕉️🚩 यतो धर्मस्ततो जयः🚩🕉
❣️ मासानां मार्गशीर्षोऽहम्_
( मार्गशीर्ष माह में ऐसा क्या विशेष हैं ।)❣️
🛐श्रीमद्भगवद्गीता के दशम अध्याय विभूति योग में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि बारहों महीनों में मैं मार्गशीर्ष माह हूँ। अब प्रश्न है कि स्वयं ईश्वर को यह महीना इतना प्रिय क्यों?🛐
🚩★ क्या इसलिए कि श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश ही मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष मोक्षदा एकादशी तिथि को हो रहा था?
🚩★ क्या इसलिए कि जिस अन्नसे सम्पूर्ण प्रजा जीवित रहती है, उस अन्नकी उत्पत्ति ही मार्गशीर्ष महीने में होती है, वर्षा के बाद।
🚩★ क्या इसलिए कि इस महीने में नये अन्नसे यज्ञ भी किया जाता है। आज भी सम्पूर्ण भारतवर्ष घूम कर देख लिया जाए जितने यज्ञ अनुष्ठान कथा आदि मार्गशीर्ष में होते हैं, उतने अन्य किसी माह में नही होते?
🚩★ क्या इसलिए कि महाभारत-काल में नया वर्ष मार्गशीर्ष से ही आरम्भ होता था। इस विशेषता के कारण भगवान ने मार्गशीर्ष को अपनी विभूति बताया है?
🚩★ क्या इसलिए कि यह अगहन, अग्रहायणी मास धन्वंतरि की दृष्टि से स्वास्थ्य वर्धक मास है?
🚩★ क्या इसलिए कि मृगशीर्ष या मृगशिरा से संबंधित इस माह में ही गोपिकाओं ने श्रीकृष्ण मन्त्राधिष्ठात्री कात्यायनी की उपासना की थी यमुनातीर पर, उन्हीं श्रीकृष्ण को पाने के लिए?
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
*नन्द गोपसुतं देविपतिं
मे कुरु ते नमः ॥*
आज भी मधुराद्वैताचार्य तथा विदर्भ की कुछ अन्य परम्पराओं में मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष दशमी से पूर्णिमा के बीच कन्याओं और स्त्रियों को श्रीमद्भगवद्गीता के दशम अध्याय, भागवत के दशम स्कंध और कात्यायनी व्रत की दीक्षा दी जाती है।
आज भी जिन कन्याओं के विवाह में बाधा है, उनके निमित्त कात्यायनी अनुष्ठान के लिए सर्वोत्तम मास मार्गशीर्ष ही माना जाता है।
🚩★ क्या इसलिए कि भगवान श्रीकृष्ण अद्भुत ज्योतिषी हैं, प्रकृति के राज्य में ज्योतिष और काल तत्व का सुंदर निरूपण उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता में किया है। वह यह उद्घोष कर हैं कि मार्गशीर्ष देवताओं का ब्रह्ममुहुर्त है?
🚩★ कहीं इसीलिए तो नहीं श्रेष्ठतम मार्गदर्शक अवधूत दत्तात्रेय ने अपने अवतरण के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को चुना है?
🚩★ कहीं इसीलिए तो नहीं मार्गशीर्ष मास में ही दत्त और महालक्ष्मी के लम्बे लम्बे व्रत उपासना के पर्व होते हैं?
जय जय श्री सीताराम 👏
जय जय श्री ठाकुर जी की👏
(जानकारी अच्छी लगे तो अपने इष्ट मित्रों को जन हितार्थ अवश्य प्रेषित करें।)
ज्यो.पं.पवन भारद्वाज(मिश्रा) व्याकरणज्योतिषाचार्य
राज पंडित-श्री राधा गोपाल मंदिर (जयपुर)