मुंबई, 28 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। देश में जल्द ही एक नया डिजिटल पेमेंट सिस्टम लागू होने वाला है, जो बड़े लेन-देन करने वाले लोगों और व्यवसायों के लिए सहूलियत लेकर आएगा। नूपुर चतुर्वेदी के अनुसार, इस सुविधा का मुख्य उपयोग दो तरह के कस्टमर्स करेंगे।
पहला, वे व्यवसायी और बड़े ट्रांजैक्शन करने वाले लोग, जैसे टैक्स भुगतान, इंश्योरेंस प्रीमियम या अन्य हाई-वैल्यू पेमेंट्स। दूसरा, आम लोग जो कभी-कभार बड़ी रकम के लिए लेन-देन करते हैं, जैसे कॉलेज की फीस, म्यूचुअल फंड या शेयर में निवेश।
चतुर्वेदी ने कहा कि कंपनी किसी निश्चित संख्या के लक्ष्य पर ध्यान नहीं दे रही। उनका कहना है कि जितने अधिक बैंक और पेमेंट प्रदाता इस सिस्टम से जुड़ेंगे, उतना ही ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा और पूरा पेमेंट नेटवर्क मजबूत होगा। वर्तमान में नेटबैंकिंग के माध्यम से हर महीने लगभग 30 करोड़ ट्रांजैक्शन हो रहे हैं और उम्मीद है कि नया सिस्टम इसे और बढ़ाएगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आर्थिक ग्रोथ
विश्लेषकों का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होने से पूरे देश की खपत में इजाफा हुआ है। कृषि उत्पादन में वृद्धि के कारण ग्रामीण लोग अब साबुन से लेकर स्मार्टफोन तक की खरीदारी कर रहे हैं। वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी तेजी देखी गई है। इस सेक्टर की ग्रोथ इस साल 9.1% रही, जबकि पिछले साल सिर्फ 2.2% थी। सरकार ने कैपिटल खर्चों में 31% अधिक निवेश किया है, जिससे रोड, ब्रिज और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बल मिला।
हालांकि, शहरी मांग अभी थोड़ी धीमी है। निजी निवेश (Private Capex) 7.3% पर रुक गया है, कृषि वृद्धि 3.5% और माइनिंग सेक्टर में मामूली गिरावट देखी गई। बावजूद इसके, सेवा क्षेत्र ने 9.2% ग्रोथ दर्ज की और कुल रियल GVA 8.1%, नॉमिनल GDP 8.7% बढ़ा।
निजी खपत में तेजी
देश की कुल GDP का लगभग 60% हिस्सा निजी खपत का है। मतलब आम लोग जो खरीदारी, फीस, EMI या अन्य खर्च करते हैं, वही अर्थव्यवस्था को गति देते हैं। जुलाई-सितंबर 2025 में निजी खपत की वृद्धि दर 7.9% रही, जो पिछले साल 6.4% थी। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग अब खुले रूप से खर्च कर रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था की गति बढ़ी है।
नए डिजिटल पेमेंट सिस्टम से बड़े और छोटे दोनों तरह के लेन-देन आसान और सुरक्षित होंगे। इससे सिर्फ टैक्स या फीस का भुगतान नहीं बल्कि निवेश और निजी खर्च को भी बढ़ावा मिलेगा। अगर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र में खर्च, कृषि और उद्योग में ग्रोथ बनी रहती है, तो देश की अर्थव्यवस्था स्थिर और संतुलित रूप से आगे बढ़ सकती है।
अर्थव्यवस्था में साझा बदलाव
इस नए पेमेंट सिस्टम की शुरुआत इसलिए भी अहम है क्योंकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कुछ ऐसी है —
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था अब फिर से मजबूती दिखा रही है — बेहतर कृषि उत्पादन के कारण ग्रामीण खर्च (consumer spending) बढ़ा है।
- उद्योग (manufacturing) क्षेत्र में तेजी देखी गई है — खासकर मशीनों, फैक्ट्रियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश से।
- इसी बीच, निजी उपभोग (private consumption) — यानी हम आम लोगों की खरीद‑फरोख्त, जैसे फोन, फीस, ऋण किस्त आदि — जो GDP का करीब 60 प्रतिशत है, उसमें भी तेज़ी आई है।
नतीजा — कुल मिलाकर, अर्थव्यवस्था में मांग और निवेश दोनों तरफ हलचल है।
वो बातें जिन पर ध्यान देने की जरूरत
हालाँकि तस्वीर पूरी तरह उजली नहीं है — कुछ सेक्टर्स अभी धीमे चल रहे हैं:
- कृषि का विकास गति देखी गई है, लेकिन यह उतनी तेजी से नहीं है जितनी अपेक्षित थी।
- माइनिंग और कुछ यूटिलिटी‑सेवाओं में मंदी है।
- शहरी मांग और निजी निवेश में उतनी तेजी नहीं है जितनी ग्रामीण या सार्वजनिक निवेश में।
इसलिए, सिर्फ नए पेमेंट सिस्टम से सब कुछ नहीं सुधरेगा — इसके लिए आर्थिक नीतियाँ, रोजगार, निवेश और ग्रामीण‑शहरी दोनों स्तरों पर विकास की दिशा में संगठित प्रयास चाहिए।