पिछले कुछ दिनों में देश के प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्रियों को जिस अभूतपूर्व अफरा-तफरी और अराजकता का सामना करना पड़ा, वह चिंता का विषय बन गया है. चेक-इन काउंटर्स पर यात्रियों की लंबी-लंबी कतारें, अपनी उड़ानों के बारे में जानकारी न मिल पाने की बेबसी और गुस्से में चिल्लाते लोग—ये नज़ारे देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) में चल रहे एक बड़े संकट को दर्शाते हैं. इंडिगो, जिसकी बाजार में हिस्सेदारी लगभग 66% है, अपनी खराब परिचालन योजना (Poor Planning) के कारण यात्रियों के लिए एक गंभीर संकट का कारण बनी. हालांकि, अब इस मामले में सरकार ने कड़ा रुख अपना लिया है और साफ कर दिया है कि यात्रियों की परेशानी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
सरकार ने दिया कड़ा संदेश: ‘मनमानी नहीं चलेगी’
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस मामले में संसद में एक स्पष्ट और कड़ा संदेश दिया है. लोकसभा में बोलते हुए, उन्होंने एयरलाइनों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी एयरलाइन, चाहे उसका बाजार में हिस्सा कितना भी विशाल क्यों न हो, उसे अपनी खराब योजना या नियमों की अनदेखी करके यात्रियों के लिए मुश्किल पैदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. मंत्री ने साफ कहा कि इंडिगो के हालिया संकट के बाद जवाबदेही तय की जा रही है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए, डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने इंडिगो के शीर्ष नेतृत्व को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. सरकार ने यह सुनिश्चित करने का वादा किया है कि उड्डयन नियमों के तहत सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि पूरे सेक्टर के लिए एक मिसाल कायम की जा सके. सरकार के ये कड़े कदम स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि अब उड्डयन क्षेत्र में ‘पैसेंजर फर्स्ट’ की नीति पर जोर दिया जा रहा है और एयरलाइनों को यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता देनी होगी.
आखिर गलती कहाँ हुई और संकट कितना बड़ा था?
इंडिगो के समक्ष उत्पन्न यह संकट कितना विकराल था, इसका अंदाजा रद्द की गई उड़ानों के आंकड़ों से लगाया जा सकता है. पिछले हफ्ते, इंडिगो को अपनी करीब 3,000 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं. स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि अकेले शुक्रवार को 1,000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल हुईं, जो इंडिगो की सामान्य दिनों की उड़ानों का लगभग आधा हिस्सा है.
इस अराजकता का सीधा असर यात्रियों पर पड़ा. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हुए, जहां यात्री अपडेट मांगने या अपने चेक-इन बैगेज को वापस पाने के लिए एयरलाइन स्टाफ से उलझते नजर आए. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संकट खराब मौसम के अलावा, एयरलाइन के अपर्याप्त क्रू प्रबंधन, पायलटों की कमी और परिचालन संबंधी खराब योजना के कारण बढ़ा. सरकार की सख्ती अब यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में इस तरह की अव्यवस्था न हो और एयरलाइंस नियमों का कड़ाई से पालन करें.