सन् 1975 का हिंदी सिनेमा एक रंगीन और ऊर्जा से भरपूर दौर था। इसी दौर में एक फिल्म ने देश की धड़कनों को छू लिया — "प्रतिज्ञा"। धर्मेंद्र औरहेमा मालिनी जैसे सदाबहार सितारों से सजी इस फिल्म ने दर्शकों का दिल जीत लिया, न केवल अपनी कहानी के लिए, बल्कि अपने जीवंत संगीत केकारण भी। और आज, जब फिल्म और उसका प्रतिष्ठित साउंडट्रैक 50 शानदार साल पूरे कर रहे हैं, तब भी एक गीत गूंजता रहता है — "मैं जट यमलापगला दीवाना"।
इस गीत को लिखा था गीतों के जादूगर आनंद बक्शी ने, और संगीतबद्ध किया था अमर जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने। पर ये केवल धुन या बोलनहीं थे जिन्होंने इसे अमर बनाया — यह था धर्मेंद्र का मस्ती से भरा अंदाज़, उनका बिंदास नाचना और बेमिसाल आकर्षण, जिसने इस गीत को एकआइकन बना दिया। ये गीत बन गया था बेकाबू मस्ती का प्रतीक, और खुद धर्मेंद्र की ऑन-स्क्रीन छवि का पर्याय।
इसका प्रभाव इतना गहरा था कि यह अपने समय से बहुत आगे निकल गया। 2011 में, जब इस गीत के रिलीज़ को लगभग चार दशक बीत चुके थे, इसे फिर से नया जीवन मिला — फिल्म "यमला पगला दीवाना" के रूप में। इस फिल्म ने एक ही पर्दे पर लाया देओल परिवार की तीन पीढ़ियाँ: धर्मेंद्र, सनी देओल और बॉबी देओल। यह फिल्म परिवार, विरासत और हास्य से भरपूर थी, और पुरानी यादों का उत्सव भी। "मैं जट यमला पगलादीवाना" को नए अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया, और ये फिर से दर्शकों का चहेता बन गया — यह इस बात का प्रमाण है कि कुछ गीत कभी पुराने नहींहोते।
यही नहीं, "प्रतिज्ञा" केवल एक संगीतमय हिट नहीं थी — यह एक पारिवारिक निर्माण भी था। इसका निर्माण किया था धर्मेंद्र और बीएस देओल ने, और निर्देशन किया था दुलाल गुहा ने। फिल्म में अजीत, जॉनी वॉकर, जगदीप, मुखरी, मेहर मित्तल और केशटो मुखर्जी जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों नेहास्य और संवेदनाओं का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत किया।
अब जब फिल्म और उसका यह अनमोल गीत 2025 में अपनी स्वर्ण जयंती मना रहे हैं, "मैं जट यमला पगला दीवाना" की विरासत पहले से भी ज़्यादामजबूत दिखाई देती है। यह केवल एक गीत नहीं है — यह एक पॉप-कल्चर प्रतीक, एक संगीतमय विरासत, और खुशियों का अनोखा मूड बन चुकाहै, जो कभी पुराना नहीं पड़ता।
चाहे वह विंटेज प्लेलिस्ट्स में बजता हो या शादियों में डीजे पर धूम मचाता हो, यह क्लासिक आज भी भारतीय संगीत और सिनेमा की यादों में जीवंतहै — और हमेशा रहेगा।
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