"27 साल हो गए, फुल टाइम कातिल बने हुए!" — यही अंदाज़ में काजोल ने अपने सोशल मीडिया पर गुप्त: द हिडन ट्रुथ के 27 साल पूरे होने कीखुशी जताई। उन्होंने आगे लिखा, "क्यों का आज तक पता नहीं, पर क्या से पूरी तरह खुश हूँ!" — ये लाइनें उस किरदार के लिए बिल्कुल सटीक हैंजिसने हिंदी सिनेमा के दर्शकों को चौंका दिया था।
1997 में रिलीज़ हुई ‘गुप्त’ ने सिर्फ एक मर्डर मिस्ट्री नहीं पेश की, बल्कि बॉलीवुड में हीरोइन के किरदार की सीमाएं तोड़ दीं। राजीव राय के निर्देशनमें बनी इस फिल्म में काजोल ने ‘ईशा’ का किरदार निभाया, जो फिल्म के आखिरी मोड़ पर कातिल निकलती है — और ये खुलासा दर्शकों के लिएकिसी झटके से कम नहीं था।
इसी फिल्म के लिए काजोल को फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर बेस्ट परफॉर्मेंस इन अ नेगेटिव रोल मिला — और वो इस कैटेगरी में अवॉर्ड जीतने वालीपहली महिला कलाकार बनीं। उस दौर में जहां हीरोइन को सिर्फ सजी-धजी दिखने तक सीमित किया जाता था, काजोल का ये रोल एक क्रांतिकारीबदलाव था।
फिल्म में बॉबी देओल, मनीषा कोइराला, ओम पुरी, परेश रावल, राज बब्बर, शरत सक्सेना जैसे कई दिग्गज कलाकार शामिल थे, लेकिन दर्शककाजोल की परफॉर्मेंस को आज तक नहीं भूले हैं।
विजू शाह द्वारा संगीतबद्ध फिल्म का म्यूज़िक भी कम धमाकेदार नहीं था। "गुप्त गुप्त" टाइटल ट्रैक ने इलेक्ट्रॉनिक म्यूज़िक और ग्लोबल बीट्स कोबॉलीवुड के मिज़ाज में ढाला, जो उस समय बहुत नया और ट्रेंड-सेटर था।
आज 27 साल बाद भी गुप्त एक कल्ट क्लासिक मानी जाती है। इसकी कहानी, ट्विस्ट और काजोल का ऐतिहासिक किरदार फिल्म स्टडीज़ औरमीडिया साइकोलॉजी में आज भी चर्चा का विषय है। और उस वक्त के दर्शकों के लिए ये पहली बार था कि हीरोइन भी कातिल हो सकती है — औरफिर भी दिल जीत सकती है।