मुंबई, 02 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। देश में कोविड वैक्सीन को लेकर फैली आशंकाओं के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने एक अहम स्टडी पेश की है। इस अध्ययन में बताया गया है कि भारत में 18 से 45 साल के लोगों की अचानक हुई मौतों का कोई सीधा संबंध कोविड वैक्सीन से नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को प्रेस रिलीज जारी कर इस रिपोर्ट की जानकारी दी और यह भी कहा कि भारत में दी गई कोविड वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावशाली है, जबकि गंभीर साइड इफेक्ट्स के मामले बहुत ही दुर्लभ हैं। स्टडी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अचानक मौतों के पीछे अन्य कई कारण हो सकते हैं, जैसे जेनेटिक समस्याएं, जीवनशैली से जुड़ी आदतें, पहले से मौजूद बीमारियां या फिर कोविड संक्रमण के बाद के जटिल असर। भारत में कोविड के लिए दो वैक्सीन विकसित की गई थीं—कोवैक्सिन, जिसे भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर तैयार किया था, और कोवीशील्ड, जिसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर आधारित बनाकर लोगों को दिया था।
ICMR और NCDC मिलकर दो रिसर्च स्टडी पर काम कर रहे हैं, ताकि अचानक मौतों के कारणों को गहराई से समझा जा सके। इनमें से पहली स्टडी पूर्व के आंकड़ों पर आधारित है, जो मई 2023 से अगस्त 2023 के बीच 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में की गई। इसमें उन युवाओं का डेटा जुटाया गया जो स्वस्थ नजर आते थे, लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच अचानक मृत्यु का शिकार हो गए। इस अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि कोविड वैक्सीन लेने से अचानक मौत का खतरा नहीं बढ़ता। दूसरी स्टडी का उद्देश्य यह जानना है कि युवा वयस्कों में अचानक मौत की मुख्य वजहें क्या हैं। यह अध्ययन AIIMS और ICMR के सहयोग से हो रहा है। शुरुआती निष्कर्षों से पता चला है कि इस आयु वर्ग में अचानक मौत का मुख्य कारण हार्ट अटैक यानी मायोकार्डियल इंफार्क्शन है। साथ ही यह भी पाया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में अचानक मौत के कारणों के पैटर्न में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। इन मौतों में सबसे बड़ा कारक जेनेटिक म्यूटेशन को बताया गया है। यह स्टडी अभी चल रही है और पूरा होने के बाद अंतिम परिणाम सार्वजनिक किए जाएंगे।
वहीं, ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने अप्रैल 2024 में अदालत में स्वीकार किया था कि उनकी वैक्सीन से थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसी दुर्लभ स्थिति हो सकती है। इसमें शरीर में खून के थक्के बनने और प्लेटलेट्स की संख्या गिरने की शिकायत होती है। इसी फॉर्मूले से भारत में कोवीशील्ड बनाई गई थी। इसी बीच बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में हुई एक स्टडी का हवाला देते हुए साइंस जर्नल स्प्रिंगरलिंक में प्रकाशित एक रिसर्च में यह पाया गया कि कोवैक्सिन लेने वाले लगभग एक तिहाई प्रतिभागियों में साइड इफेक्ट्स देखे गए। इनमें सांस से जुड़ी समस्याएं, खून के थक्के, त्वचा रोग, मासिक धर्म की अनियमितताएं, आंखों की दिक्कतें, हाइपोथायरायडिज्म, स्ट्रोक और गुलियन बेरी सिंड्रोम (GBS) शामिल थे। खासकर किशोरियों और पहले से एलर्जी से जूझ रहे लोगों पर इन प्रभावों का खतरा अधिक देखा गया। हालांकि, ICMR और NCDC की स्टडी इस बात पर जोर देती है कि भारत में दी जा रही कोविड वैक्सीन से आमतौर पर कोई गंभीर खतरा नहीं है और इससे अचानक मृत्यु का सीधा कोई संबंध नहीं बनता।