मुंबई, 15 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दे दी है। अब मंदिर के खजाने से 500 करोड़ रुपए खर्च कर 5 एकड़ क्षेत्र में भव्य कॉरिडोर बनाया जाएगा। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के धन से भूमि अधिग्रहण की इजाजत देते हुए यह शर्त भी लगाई है कि अधिग्रहित की जाने वाली जमीन भगवान के नाम पर पंजीकृत की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को भी संशोधित कर दिया, जिसमें मंदिर के आसपास की जमीन को सरकारी पैसे से खरीदने पर रोक लगाई गई थी। इससे पहले, हाईकोर्ट ने मंदिर के खजाने के उपयोग पर आपत्ति जताई थी। मंदिर के गोस्वामियों ने प्रदेश सरकार की उस मंशा का विरोध किया था, जिसमें मंदिर की धनराशि से जमीन खरीदने की बात कही गई थी। इस विरोध के चलते मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट में दो मुद्दों पर सुनवाई -
बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर ईश्वर चंद्र शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसमें दो प्रमुख मुद्दे उठाए गए— पहला, रिसीवर की नियुक्ति को लेकर और दूसरा, कॉरिडोर के निर्माण को लेकर। सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने गुरुवार को इन दोनों मुद्दों पर स्पष्ट आदेश जारी किए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सरकार केवल भूमि अधिग्रहण के उद्देश्य से मंदिर के खजाने से धन ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट के वकील सार्थक चतुर्वेदी ने बताया, सरकार सिर्फ जमीन खरीदने के लिए बांके बिहारी मंदिर के खजाने से पैसा ले सकती है। इस आदेश के बाद अब कॉरिडोर के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहीत की जा सकेगी और उस पर भगवान के नाम से पंजीकरण भी कराया जाएगा।
500 करोड़ की लागत, 450 करोड़ मंदिर के खजाने में पहले से उपलब्ध -
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण पर लगभग 500 करोड़ रुपए की लागत आएगी। यह धनराशि भूमि अधिग्रहण और प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए खर्च की जाएगी। वर्तमान में बांके बिहारी मंदिर के खजाने में लगभग 450 करोड़ रुपए मौजूद हैं। इस धन का उपयोग करके मंदिर परिसर के पास स्थित मकानों और दुकानों को अधिग्रहीत किया जाएगा और उनके मालिकों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वर्षों से अटके कॉरिडोर निर्माण के रास्ते अब साफ हो गए हैं। यह कॉरिडोर भक्तों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर क्षेत्र को सुव्यवस्थित और विस्तार देने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।