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क्रेविंग्स को संतुष्ट करने का '3-बाइट नियम' क्या है? जानें क्यों सिर्फ तीन निवाले खाकर भी संतुष्टि मिल सकती है

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Posted On:Thursday, November 20, 2025

मुंबई, 20 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) जब हमें अपने पसंदीदा जंक फूड या मीठे की क्रेविंग (craving) होती है, तो कई बार हम खुद को रोक नहीं पाते और जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं, जिससे बाद में पछतावा होता है। इस समस्या से निपटने के लिए पोषण विशेषज्ञ (nutritionists) एक आसान लेकिन प्रभावी तरीका सुझा रहे हैं: '3-बाइट नियम' (The 3-Bite Rule)।

3-बाइट नियम क्या है?

इस नियम का मूल विचार यह है कि आप अपनी पसंदीदा चीज़ों को पूरी तरह से छोड़ने के बजाय, उसका सिर्फ एक छोटा हिस्सा (small portion) लें - यानी केवल तीन निवाले। यह तरीका आपको बिना ज्यादा खाने या अपराधबोध महसूस किए अपनी क्रेविंग को संतुष्ट करने की अनुमति देता है।

पोषण विशेषज्ञ ख्याति रूपानी के अनुसार, "अगर आपको कुछ पसंद है, तो मानसिक शांति के लिए उसके कुछ निवाले खा लें। यही 3-बाइट नियम है।" वह यह भी स्पष्ट करती हैं कि 'बाइट' का मतलब चम्मच भर नहीं, बल्कि चाय के चम्मच जितना छोटा निवाला होना चाहिए।

यह नियम कैसे काम करता है?

डॉ. राजेश्वरी पांडा के अनुसार, यह नियम संयम (moderation) और माइंडफुलनेस (mindfulness) को बढ़ावा देता है। जब आप तीन निवाले लेते हैं, तो यह आपके मस्तिष्क को संतुष्टि का संकेत देता है:

पहला निवाला (Taste Introduction): यह स्वाद का परिचय देता है, जिससे आप स्वाद का आनंद लेना शुरू करते हैं।

दूसरा निवाला (Sensory Satisfaction): यह सबसे ज्यादा संवेदी संतुष्टि (sensory satisfaction) प्रदान करता है और आनंद को मजबूत करता है।

तीसरा निवाला (Craving Satisfied): इस निवाले के बाद, आपका मस्तिष्क आमतौर पर यह संकेत देता है कि क्रेविंग संतुष्ट हो गई है। अक्सर, तीन निवाले खत्म करने के बाद, आपको एहसास होता है कि अब आपको और खाने की इच्छा नहीं है।

इस नियम के फायदे

अपराधबोध से मुक्ति: आप अपनी पसंदीदा चीज़ का मज़ा भी ले पाते हैं और ज्यादा खाने का अपराधबोध भी नहीं होता।

सचेत भोजन: यह धीरे-धीरे खाने और ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करता है कि भोजन आपको कैसा महसूस करा रहा है। इससे आप वास्तविक भूख और भावनात्मक क्रेविंग के बीच अंतर करना सीख पाते हैं।

संतुलित आहार: यह प्रतिबंधात्मक डाइटिंग के पैटर्न को तोड़ने में मदद करता है, जिससे भविष्य में क्रेविंग होने की संभावना भी कम हो सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह नियम सहज भोजन (Intuitive Eating) की अवधारणा के अनुरूप है, जो शरीर के संकेतों को सुनने और भोजन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने पर केंद्रित है।


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