झांसी न्यूज डेस्क: झांसी में पत्नी की हत्या के मामले में कोर्ट ने पति और दो सौतेले बेटों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला 11 साल पुराना है, जब प्रॉपर्टी विवाद के चलते भरे बाजार में महिला को गोली मारी गई थी। उस वक्त पति ने ही एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उसने खुद को और एक बेटे को बचा लिया था। लेकिन घटना का राज 9 साल की बेटी की चश्मदीद गवाही ने खोला। उसकी गवाही कोर्ट में भी सजा दिलाने के लिए अहम साबित हुई।
सुदामा प्रसाद यादव की पहली शादी विशना देवी से हुई थी और उनसे चार बेटे थे। बाद में उन्होंने दूसरी शादी शिवा से की, जिनके पहले से भी दो बच्चे थे। झरना गेट पर करोड़ों की जमीन के प्रॉपर्टी विवाद को लेकर परिवार में बहुत झगड़ा चल रहा था। सौतेले बेटे पदवेंद्र, ऐलान और निहाल ने धमकी दी कि जमीन छोड़ दो, नहीं तो जान से हाथ धोना पड़ेगा। 4 जनवरी 2014 को पदवेंद्र और ऐलान ने शिवा को गोली मारी, जिसके बाद वह अस्पताल में मृत घोषित कर दी गई।
घटना के बाद पति सुदामा ने पदवेंद्र और निहाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। मृतक शिवा की बेटी संयोगिता ने भी पुलिस को बयान दिया कि उसके पिता और सौतेले भाई हत्या में शामिल थे। कोर्ट में 9 साल की बेटी की गवाही को विशेष महत्व दिया गया, जिसने पिता और सौतेले भाइयों के खिलाफ ठोस सबूत पेश किए। इसके अलावा कई अन्य गवाहों की गवाही और सबूतों के आधार पर कोर्ट ने सुदामा, पदवेंद्र और ऐलान को दोषी ठहराया।
कोर्ट ने सुदामा और दो बेटों को आजीवन कारावास की सजा के साथ भारी जुर्माना भी लगाया है। पदवेंद्र और ऐलान को 1-1 लाख रुपये का अर्थदंड दिया गया है, और सुदामा पर 1.15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना न चुकाने पर अतिरिक्त चार-चार साल की सजा भुगतनी होगी। वहीं, तीसरे बेटे निहाल को कोर्ट ने बरी कर दिया है।