झांसी न्यूज डेस्क: सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी दीपक कुमार मिश्रा पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने पूरे मंडलायुक्त कार्यालय में हलचल मचा दी है। 39 साल तक लगातार अलग-अलग संवेदनशील पटलों पर तैनात रहे दीपक मिश्रा पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज हुआ है। जांच में सामने आया है कि उनके पास 55 लाख रुपये की अघोषित संपत्ति पाई गई है। विजिलेंस एसपी राजेंद्र सिंह ने पुष्टि की कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच फिलहाल जारी है।
दीपक कुमार मिश्रा की नियुक्ति 10 दिसंबर 1985 को मंडलायुक्त कार्यालय में हुई थी। लंबे कार्यकाल में उन्होंने भूलेख, नाजिर और कई अहम पटलों पर काम किया। विभागीय सूत्र बताते हैं कि मिश्रा का विभाग में काफी प्रभाव था, इसी वजह से भ्रष्टाचार की शिकायतें आने के बाद भी वह वर्षों तक महत्वपूर्ण पदों पर बने रहे। शासन ने तीन साल पहले विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद वह 31 दिसंबर 2024 को बिना किसी रुकावट के सेवानिवृत्त हो गए।
जांच में सामने आया कि दीपक मिश्रा ने बीमा पॉलिसियों के नाम पर सबसे ज्यादा गड़बड़ी की। विजिलेंस को शक है कि इन्हीं पॉलिसियों के जरिए अवैध धन का लेनदेन हुआ। फिलहाल टीम बैंक खातों, संपत्ति के कागजात और बीमा रिकॉर्ड की गहराई से जांच कर रही है।
विजिलेंस की कार्रवाई की खबर फैलते ही मंडलायुक्त कार्यालय में हड़कंप मच गया है। कर्मचारी अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं जांच का दायरा और न बढ़ जाए। अधिकारियों का कहना है कि यह केस विभाग के भीतर फैले भ्रष्टाचार की एक बड़ी कड़ी को उजागर कर सकता है।