झांसी न्यूज डेस्क: बरुआ सागर में दो साल पहले हुए अंशुल यादव अपहरण और हत्या कांड में आखिरकार अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। अपर जिला सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार की अदालत ने तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई और प्रत्येक पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट में बुधवार को दोष साबित हुआ था और शुक्रवार को फैसला सुनाया गया। एडीजीसी क्राइम तेज सिंह गौर ने बताया कि यह फैसला परिवार के लिए इंसाफ की दिशा में एक बड़ी राहत है।
घटना दिसंबर 2023 की है जब बरुआ सागर के उजयान गांव निवासी अंशुल यादव अपनी बहन को झांसी रेलवे स्टेशन छोड़कर घर लौट रहा था। रास्ते में जैसे ही वह पीपा पुल के पास पहुंचा, लाल रंग की कार ने उसकी बाइक को जोरदार टक्कर मारी। हादसे के बाद अंशुल जमीन पर गिर गया और उसी वक्त कार सवार युवक उसे जबरन उठा ले गए। उन्होंने सबूत मिटाने के लिए उसकी बाइक नदी में फेंक दी थी।
दो दिन बाद अंशुल की हत्या कर शव को बेतवा नदी में फेंक दिया गया। यह पूरा दृश्य पास लगे कैमरे में कैद हो गया था, जिसमें तीन युवक — सुनील यादव, अभिषेक यादव और नीलू उर्फ धर्मसिंह — साफ दिखाई दे रहे थे। इन्हीं फुटेज के आधार पर पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार किया। अंशुल के भाई प्रमोद यादव की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ और बाद में अपहरण के केस को हत्या में बदल दिया गया।
अदालत ने अभियोजन द्वारा पेश साक्ष्यों को ठोस मानते हुए तीनों को दोषी ठहराया। फैसला सुनते ही तीनों दोषियों को वापस जेल भेज दिया गया। यह फैसला उन परिवारों के लिए भी एक मिसाल है जो आज भी अपने बच्चों के लिए न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं।