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Israel Iran War LIVE Updates: अमेरिका को युद्ध में खींच रहे शिया सुन्नी, ईराक में अमेरिकी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन

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Posted On:Monday, June 16, 2025

इजरायल और ईरान के बीच पिछले 72 घंटे से जारी युद्ध ने मध्य पूर्व और वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। इस भयंकर संघर्ष में दोनों देशों के बीच मिसाइलों, ड्रोन हमलों और सटीक हवाई हमलों का सिलसिला लगातार जारी है, जिसने हजारों लोगों की जान लेने के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। आइए इस लेख में हम इस गंभीर युद्ध की पूरी जानकारी, इसके कारण, हालिया घटनाक्रम और संभावित परिणामों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।

इजरायल-ईरान युद्ध का प्रारंभ

इस युद्ध की शुरुआत रविवार को इजरायल द्वारा ईरान के विदेश मंत्रालय पर किए गए मिसाइल हमले से हुई। इजरायल ने इसके बाद ईरान के रक्षा मंत्रालय को भी निशाना बनाया, जो कि दोनों देशों के बीच तनाव की गंभीरता को दर्शाता है। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने लगभग 100 UAV (अनमैनड एयर व्हीकल्स) इजरायल पर दागे, जिन्हें इजरायली सेना ने फुर्तीली प्रतिक्रिया देते हुए इंटरसेप्ट कर नष्ट कर दिया।

दोनों देशों के नुकसान

ईरान ने दावा किया है कि इजरायली हमलों में अब तक 225 ईरानी नागरिक और सैनिक मारे जा चुके हैं, जबकि 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। वहीं, अमेरिकी ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स ग्रुप के अनुसार, ईरान में मरने वालों की संख्या 400 से भी अधिक हो सकती है। इजरायल की तरफ से भी नुकसान हुआ है, जिसमें 15 मौतें और 350 से ज्यादा घायल शामिल हैं।

पाकिस्तान का ईरान को समर्थन

इस जंग में पाकिस्तान भी सक्रिय हो चुका है। पाकिस्तान ने ईरान को अपना समर्थन देने की गारंटी दी है और इजरायल के खिलाफ ईरान के कदमों के साथ खड़ा होने का भरोसा दिया है। इसके साथ ही पाकिस्तान ने अपने दक्षिणी बॉर्डर, खासकर बलूचिस्तान-ईरान सीमा को सख्ती से सील कर दिया है ताकि किसी अप्रत्याशित घुसपैठ को रोका जा सके।

अमेरिका का मध्यस्थता प्रयास

इस संकट के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच शांति समझौते के प्रयास शुरू किए हैं। ट्रंप का कहना है कि जैसे उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को शांत किया था, वैसे ही वे ईरान और इजरायल के बीच भी तनाव कम करने में मदद करेंगे। हालांकि, फिलहाल दोनों पक्षों के बीच कोई गंभीर बातचीत नहीं हुई है।


युद्ध के लाइव अपडेट्स और हालिया घटनाक्रम

  • 16 जून, सुबह 9:21 बजे (IST): इराक की राजधानी बगदाद में शिया धर्मावलंबियों ने अमेरिकी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जो ईरान के समर्थन से हो रहा है। उन्होंने अमेरिका को इस युद्ध में हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी।

  • 8:37 बजे: इजरायल ने अपनी रणनीति का खुलासा किया है, जिसमें उसने ईरान के surface-to-air मिसाइल सिस्टम्स को निशाना बनाना शुरू कर दिया है, ताकि ईरान की मिसाइल लॉन्चिंग क्षमता को सीमित किया जा सके। इसके कारण मिसाइल हमलों की संख्या में कमी आई है।

  • 7:52 बजे: ईरान के INSC सदस्य मोहेसन रेज़ाई ने इजरायल के कब्जे वाले इलाकों में रह रहे लोगों को चेतावनी दी है कि वे अपने वतन लौट जाएं। इसी दौरान, इजरान ने इजरायल के हाइफा शहर पर मिसाइलें दागीं, जिसमें चार लोगों की मौत हुई।

  • 7:19 बजे: ईरान की IRGC (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के खुफिया विभाग के प्रमुख जनरल मोहम्मद काजेमी समेत कई वरिष्ठ कमांडर इजरायली हमले में मारे गए। ईरान ने बड़े जवाबी हमलों की तैयारी भी शुरू कर दी है।

  • 7:01 बजे: इजरायल ने ईरान के माशहद शहर के हशीमिनजाद एयरपोर्ट को मिसाइलों से नष्ट कर दिया। साथ ही, ईरान के ईंधन भरने वाले विमान को भी तबाह कर दिया गया, जिससे ईरान की युद्ध क्षमता पर बड़ा झटका लगा है।

  • 6:39 बजे: पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु बम गिराने की स्थिति में बदले में इजरायल पर परमाणु हमले का आश्वासन दिया है। यह बयान ईरानी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य मोहेसन रेज़ाई ने दिया है।


युद्ध के पीछे के कारण और संभावित परिणाम

इजरायल और ईरान के बीच इस जंग के पीछे दशकों पुराना दुश्मनी और क्षेत्रीय प्रभुत्व की लड़ाई है। ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर विश्व समुदाय के संदेहों के केंद्र में रहा है, जबकि इजरायल इसे अपनी सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानता है। दोनों देशों के बीच कई बार अप्रत्यक्ष संघर्ष हो चुके हैं, लेकिन यह लड़ाई सबसे हिंसक मानी जा रही है।

इस युद्ध के परिणाम न केवल मध्य पूर्व के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गंभीर होंगे। इस क्षेत्र में तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिससे वैश्विक आर्थिक अस्थिरता बढ़ेगी। इसके साथ ही, बड़े पैमाने पर मानवाधिकार संकट और शरणार्थी समस्या भी पैदा हो सकती है।


निष्कर्ष

इजरायल और ईरान के बीच युद्ध ने वैश्विक राजनीति में एक नई गंभीर स्थिति पैदा कर दी है। दोनों देशों के लिए यह लड़ाई न केवल सैन्य संघर्ष है, बल्कि उनके राजनीतिक और धार्मिक तनावों का प्रतिबिंब भी है। पाकिस्तान का ईरान के समर्थन में आना इस संघर्ष को और जटिल बना देता है। ऐसे में वैश्विक समुदाय की जिम्मेदारी बनती है कि वे शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए मध्यस्थता करें और इस विनाशकारी जंग को जल्द से जल्द समाप्त कराने की दिशा में प्रयास बढ़ाएं।

इस समय जनता और सरकार दोनों को सतर्क और संयमित रहना होगा, ताकि इस संघर्ष का कोई बड़ा मानवतावादी और क्षेत्रीय संकट पैदा न हो। भविष्य में भी इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए कूटनीतिक वार्ता और बातचीत का मार्ग ही सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है।


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