स्ट्रेलिया की सबसे बड़ी एयरलाइन क्वांटस (Qantas) को देश के इतिहास के सबसे बड़े अवैध बर्खास्तगी मामले में भारी जुर्माने का सामना करना पड़ रहा है। फेडरल कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान क्वांटस द्वारा 1,800 से अधिक बैगेज हैंडलर्स, क्लीनर्स और ग्राउंड स्टाफ की नौकरियों को अवैध रूप से आउटसोर्स करने के लिए एयरलाइन को 90 मिलियन डॉलर का जुर्माना भरने का आदेश दिया है। यह जुर्माना ऑस्ट्रेलियाई औद्योगिक संबंध कानूनों के उल्लंघन के लिए किसी अदालत द्वारा लगाए गए अब तक के सबसे बड़े जुर्माने में से एक माना जा रहा है।
मामले का背景
कोविड-19 महामारी के चलते वैश्विक स्तर पर कई एयरलाइंस ने अपने खर्चों को कम करने के लिए कर्मचारियों की संख्या घटाई या आउटसोर्सिंग का सहारा लिया। इसी कड़ी में क्वांटस ने 2020 में अपने ग्राउंड हैंडलिंग विभाग के 1,800 से अधिक कर्मचारियों के काम को आउटसोर्स कर दिया। इस फैसले के कारण इन कर्मचारियों ने ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन (TWU) के माध्यम से अदालत में केस दायर किया। उनका दावा था कि क्वांटस ने नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से उनके रोजगार को खत्म किया है।
फेडरल कोर्ट का फैसला
फेडरल कोर्ट के न्यायाधीश माइकल ली ने सोमवार को इस मामले में अहम फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने कहा कि जुर्माना अधिकतम 121 मिलियन डॉलर के लगभग 75 प्रतिशत, यानी कम से कम 90 मिलियन डॉलर होना चाहिए। उन्होंने इस जुर्माने की 50 मिलियन डॉलर की राशि सीधे ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन को देने का आदेश दिया, जो कि कर्मचारियों की ओर से इस मामले की पैरवी कर रही है।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि बाकी 40 मिलियन डॉलर की राशि का भुगतान कैसे किया जाएगा और क्या वह सीधे प्रभावित कर्मचारियों को मिलेगी, इसे आगे की सुनवाई में तय किया जाएगा। यह जुर्माना क्वांटस के उस फैसले पर आधारित है, जिसे बाद में संघीय न्यायालय ने अवैध करार दिया था।
जुर्माने की मांग और क्वांटस की प्रतिक्रिया
ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन (TWU) ने क्वांटस पर कुल 12.1 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाने की मांग की थी। इसके अलावा, प्रभावित कर्मचारियों को 12 करोड़ डॉलर से अधिक का मुआवजा देने की भी मांग की गई थी। दूसरी ओर, क्वांटस ने अदालत से आग्रह किया था कि जुर्माना 4 करोड़ डॉलर से 8 करोड़ डॉलर के बीच “मध्यम” स्तर का लगाया जाए।
न्यायाधीश ली ने क्वांटस की प्रतिक्रिया को “गलत तरह का खेद” करार दिया। उन्होंने कहा कि कंपनी ने अधिक चिंता इस बात पर दिखाई कि जुर्माने से कंपनी पर क्या प्रभाव पड़ेगा, न कि इसके अवैध रूप से बर्खास्त किए गए कर्मचारियों पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर।
आउटसोर्सिंग फैसले में नेतृत्व की भूमिका पर सवाल
इस मामले में क्वांटस के पूर्व सीईओ एलन जॉयस का नाम भी चर्चा में रहा। हालांकि, न्यायाधीश ने कहा कि जॉयस सीधे तौर पर आउटसोर्सिंग निर्णय में शामिल नहीं थे, लेकिन इससे यह सवाल उठता है कि कंपनी के उच्च प्रबंधन स्तर पर इस महत्वपूर्ण फैसले से पहले क्या विचार-विमर्श और गतिविधियां हुईं। न्यायालय को इस बात की स्पष्ट जानकारी नहीं थी कि क्या निर्णय पूरी तरह से पारदर्शी और कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया था।
इसके बाद क्या होगा?
अब यह देखना होगा कि बाकी 40 मिलियन डॉलर की राशि का भुगतान किस तरह किया जाएगा और क्या यह राशि प्रभावित कर्मचारियों तक पहुंचेगी। इस मामले की अगली सुनवाई में इस पर फैसला होगा। साथ ही, यह मामला भविष्य में औद्योगिक संबंधों और कर्मचारियों के अधिकारों के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
क्वांटस के खिलाफ यह जुर्माना न केवल एक ऐतिहासिक फैसला है, बल्कि यह सभी कंपनियों के लिए भी एक चेतावनी है कि कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान करना और कानून के दायरे में रहकर निर्णय लेना कितना आवश्यक है। कोविड-19 जैसी कठिन परिस्थितियों में भी औद्योगिक संबंध कानूनों का उल्लंघन गंभीर परिणाम ला सकता है। यह मामला न केवल ऑस्ट्रेलिया में बल्कि विश्वभर के व्यवसायिक और कानूनी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण प्रकरण के रूप में याद रखा जाएगा।