रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अब केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह धीरे-धीरे यूरोप के लिए एक व्यापक सुरक्षा संकट में बदलता जा रहा है। इस संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अब सीधे नाटो (NATO) देशों को चेतावनी दी है कि अगर पुतिन को अभी नहीं रोका गया तो आने वाला समय यूरोप के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
🔴 जेलेंस्की की खुली चेतावनी: "अगर पुतिन नहीं रुके, तो यूरोप भी युद्ध में झुलसेगा"
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने नाटो की उच्चस्तरीय बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा कि रूस अब केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। उन्होंने दावा किया कि उनकी खुफिया एजेंसियों को ऐसे संकेत मिले हैं कि रूस भविष्य में नाटो देशों पर भी हमला करने की योजना बना रहा है। जेलेंस्की ने यह भी कहा कि अगर अब कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले सालों में यूरोप के कई देश सीधे युद्ध की चपेट में आ सकते हैं।
“हमारे पास प्रमाण हैं कि रूस रणनीतिक तौर पर नाटो देशों की सुरक्षा को चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। यह अब सिर्फ यूक्रेन का युद्ध नहीं रहा, बल्कि यूरोपीय अस्तित्व का प्रश्न बन चुका है।” – वोलोडिमिर जेलेंस्की
यूरोप से की गई अपील: रक्षा खर्च बढ़ाओ
जेलेंस्की ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यूरोपीय देशों को अपने रक्षा बजट में तत्काल वृद्धि करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि सभी नाटो देश सामूहिक रूप से रक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं जुटाते हैं, तो रूस के हमलों से कोई नहीं बच पाएगा।
यह पहली बार नहीं है जब जेलेंस्की ने नाटो से मदद की गुहार लगाई हो, लेकिन यह चेतावनी अब पहले से कहीं ज्यादा गंभीर और स्पष्ट थी।
🇺🇸 ट्रंप की मांग: GDP का 5% रक्षा पर खर्च करें
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी नाटो मीटिंग में एक स्पष्ट रुख अपनाते हुए कह चुके हैं कि:
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हर सदस्य देश को अपनी GDP का कम से कम 5 प्रतिशत रक्षा खर्च पर लगाना चाहिए।
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ट्रंप का मानना है कि नाटो की वर्तमान सुरक्षा संरचना पुरानी पड़ चुकी है और रूस जैसी आक्रामक शक्तियों से निपटने के लिए इसे मजबूत बनाना आवश्यक है।
हालांकि स्पेन जैसे देशों ने ट्रंप की मांग पर सहमति नहीं जताई, लेकिन जर्मनी, ब्रिटेन और पोलैंड जैसे शक्तिशाली देशों ने इस पर सकारात्मक रुख अपनाया है।
नाटो महासचिव का भी अलर्ट
कुछ दिन पहले ही नाटो के महासचिव मार्क रूटे ने भी रूस को लेकर एक गंभीर बयान दिया था। उन्होंने कहा:
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2030 तक रूस नाटो देशों पर हमला कर सकता है।
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रूस ने हथियारों के निर्माण में तेज़ी से बढ़त बना ली है, और यह किसी भी सैन्य संघर्ष में नाटो के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
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इसलिए नाटो सदस्य देशों को अपना रक्षा खर्च GDP के 2% से बढ़ाकर कम से कम 3.5% तक करना चाहिए।
रूटे का यह बयान सिर्फ एक चेतावनी नहीं बल्कि एक रणनीतिक आह्वान था, जो पूरे यूरोप के लिए गंभीर सोच का विषय बन गया है।
मौजूदा हालात: युद्ध के दायरे का विस्तार
रूस की तरफ से हाल ही में यूक्रेन के रिहायशी इलाकों पर ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया गया। यूक्रेन की सेना और नागरिक लगातार इन हमलों का मुकाबला कर रहे हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे को नुकसान, आर्थिक स्थिति की गिरावट, और जनसंख्या विस्थापन जैसे संकट बढ़ते जा रहे हैं।
इस बीच पुतिन का यह भी दावा है कि वे यूक्रेन में 'सुरक्षा' के लिए सैन्य कार्रवाई कर रहे हैं, जबकि पश्चिमी देश इसे आक्रामक विस्तारवाद की नीति मानते हैं।
क्या अब युद्ध यूरोप की ओर बढ़ेगा?
विशेषज्ञों की मानें तो:
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अगर नाटो ने एकजुट होकर रूसी आक्रमण को चुनौती नहीं दी, तो भविष्य में यह लड़ाई पोलैंड, लातविया, लिथुआनिया और यहां तक कि जर्मनी तक भी पहुंच सकती है।
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रूस और चीन के बीच सुरक्षा और आर्थिक सहयोग भी पश्चिमी देशों के लिए चुनौती बन सकता है।
निष्कर्ष
रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक अंतरराष्ट्रीय संघर्ष का रूप लेता जा रहा है। जेलेंस्की की चेतावनी और ट्रंप-रूटे जैसे नेताओं के बयानों से यह साफ हो चुका है कि यह सिर्फ यूक्रेन की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे यूरोप की सुरक्षा और स्थिरता का मुद्दा है।