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मध्य प्रदेश में SIR को लेकर बड़ा अपडेट, 25 लाख वोटरों के कटेंगे नाम

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Posted On:Friday, December 19, 2025

मध्यप्रदेश में मतदाता सूची को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने के उद्देश्य से चलाया गया विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। चुनाव आयोग की इस बड़ी कवायद के बाद जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्य की मतदाता सूची से लगभग 25 लाख नाम हटाए जा सकते हैं।

क्यों कटेंगे 25 लाख नाम? मुख्य कारण

पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान कुल 5 करोड़ 76 लाख से अधिक गणना पत्रकों की बारीकी से जांच की गई। इस विश्लेषण में मतदाता सूची में मौजूद कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं:

  • मृत मतदाताओं की उपस्थिति: जांच में पाया गया कि लगभग 8.5 लाख ऐसे मतदाता हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके नाम अभी भी सूची में सक्रिय थे।

  • अधूरी जानकारी: करीब 9 लाख मतदाताओं ने वर्ष 2003 से संबंधित अनिवार्य जानकारी या दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए हैं। नियमों के मुताबिक, सूची में नाम बनाए रखने के लिए यह डेटा अत्यंत आवश्यक है।

  • डुप्लीकेट मतदाता: लगभग 2.5 लाख ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ एक ही मतदाता का नाम दो अलग-अलग मतदान केंद्रों या क्षेत्रों की सूची में दर्ज है।

  • अपात्रता: अन्य श्रेणियों में बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता मिले हैं जो अब उस पते पर नहीं रहते या लंबे समय से अनुपस्थित हैं।

23 दिसंबर को प्रारंभिक प्रकाशन और नोटिस की प्रक्रिया

चुनाव आयोग इस पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और लोकतांत्रिक बनाए रखने के लिए मतदाताओं को अपनी बात रखने का मौका भी देगा।

  1. प्रारंभिक सूची: 23 दिसंबर को प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा।

  2. दावे और आपत्तियां: सूची प्रकाशित होने के बाद मतदाता अपने नाम की जांच कर सकेंगे और किसी भी विसंगति पर आपत्ति दर्ज करा सकेंगे।

  3. व्यक्तिगत नोटिस: जिन मतदाताओं के गणना पत्रक अधूरे हैं या जिनकी जानकारी संदिग्ध है, उन्हें आयोग द्वारा नोटिस जारी किया जाएगा।

  4. अंतिम अवसर: यदि नोटिस मिलने के बाद भी निर्धारित समय सीमा के भीतर मतदाता अपनी जानकारी अपडेट नहीं करते हैं, तो उनका नाम मतदाता सूची से काट दिया जाएगा।

राजनीतिक गलियारों में हलचल

इतने बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटने की संभावना ने राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। चूंकि 25 लाख का आंकड़ा चुनावी नतीजों को पलटने की क्षमता रखता है, इसलिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस प्रक्रिया पर कड़ी नजर रख रहे हैं। राजनीतिक दलों की मुख्य चिंता यह है कि कहीं वास्तविक और पात्र मतदाता इस तकनीकी प्रक्रिया के कारण मतदान के अधिकार से वंचित न रह जाएं।


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