झांसी न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश के झांसी में गुरसराय स्थित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह सम्मेलन में आज एक भव्य आयोजन देखने को मिला। विधायक जवाहर लाल राजपूत ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। लेकिन थोड़ी ही देर बाद जो नजारा सामने आया, उसने प्रशासन और समाज कल्याण विभाग की लापरवाही उजागर कर दी। मंडप के नीचे से कई जोड़े भागते नजर आए। न तो उन्होंने फेरों की रस्म पूरी की, न मांग भरी, और न ही विवाह संस्कार संपन्न हुआ। पंडितों द्वारा आवाज लगाने पर कई जोड़े यह कहकर चले गए कि “थोड़ी देर में आते हैं,” लेकिन लौटे ही नहीं।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि लगभग आधे से ज्यादा जोड़े न तो फेरे लिए और न ही मांग भरी। कई लोग सामान लेने के लिए लाइन में खड़े हो गए। इनमें से कुछ जोड़े पहले से ही शादीशुदा थे और केवल सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन कर आए थे। विवाह संस्कार बिना पूरे किए ही वे मदद के सामान लेने लगे। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि उस सिस्टम की पोल खोल रहा है जो गरीबों की मदद के नाम पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है।
कार्यक्रम में कुल 123 जोड़ों के विवाह का आयोजन दिखाया गया, लेकिन जांच में कई जोड़े पहले से शादीशुदा निकले। समाज कल्याण विभाग के अधिकारी पूरे कार्यक्रम में गायब रहे। आयोजन भव्य था, लेकिन वास्तविकता में यह सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार की मिसाल बन गया। सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की आड़ में यह फर्जीवाड़ा कब तक चलता रहेगा और इसकी जांच कौन करेगा।
हालांकि यह योजना गरीब परिवारों की मदद के लिए सरकार की एक बड़ी पहल मानी जाती है, लेकिन झांसी में हुए इस कार्यक्रम ने साफ कर दिया कि व्यवस्था में खामियां हैं। प्रशासनिक निगरानी और योजना के सही क्रियान्वयन के बिना इस तरह के आयोजन सिर्फ दिखावे तक सीमित रह जाते हैं।