झांसी न्यूज डेस्क: ग्वालियर–झांसी हाईवे के बीच स्थित अरबों की इस जमीन को लेकर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के विभागों में विवाद लगातार बढ़ रहा है। झांसी प्रशासन इस जमीन को नजूल की संपत्ति बताता है, जबकि मध्य प्रदेश का लोक निर्माण विभाग कहता है कि राज्य बंटवारे के समय यह जमीन ग्वालियर स्टेट के हिस्से में दी गई थी। जमीन की कीमत करीब 350 करोड़ रुपये बताई जा रही है, लेकिन स्वामित्व साफ न होने से न तो इसका उपयोग हो पा रहा है और न ही बिक्री संभव है।
हाईवे के पास मौजूद करीब 34 बीघा जमीन पर फिलहाल दतिया जिले के लोक निर्माण विभाग का कब्जा है, लेकिन झांसी जिला प्रशासन भी इस पर हक जता रहा है। दोनों राज्यों के उच्च अधिकारी कई दौर की चर्चा कर चुके हैं, मगर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं। हाल ही में लखनऊ में बैठक हुई, लेकिन निर्णय फिर अधर में लटक गया।
दस्तावेज़ों में भी भारी उलझन है। मध्य प्रदेश सरकार के पास उर्दू में लिखा एक पुराना पत्र है जिसमें जमीन को ग्वालियर स्टेट की संपत्ति बताया गया है, मगर उस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं हैं। दूसरी ओर 1985 में झांसी तहसील से जारी दस्तावेज़ों में जमीन को उत्तर प्रदेश की नजूल संपत्ति कहा गया है। झांसी के अधिकारी भी स्पष्ट तौर पर कुछ कहने से बच रहे हैं, क्योंकि मामला दो राज्यों के विभागों से जुड़ा है।
जमीन के कई हिस्सों पर रेस्ट हाउस बना है, जबकि बाकी बड़ा इलाका खाली पड़ा है और धीरे-धीरे अतिक्रमण की चपेट में आ रहा है। सर्वे नंबरों 773, 776, 777, 778, 784 और 705 में दर्ज इस जमीन का कुल रकबा 13500 वर्ग मीटर है। 2021 में किए गए मूल्यांकन में इसकी कीमत 350 करोड़ रुपये बताई गई थी, लेकिन मालिकाना हक को लेकर चल रही खींचतान के चलते यह कीमती जमीन सालों से बेकार पड़ी है।