झांसी न्यूज डेस्क: झांसी का आंतिया तालाब कभी कचरे और गंदगी से भरा हुआ था, लेकिन स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसे करीब पांच करोड़ रुपये खर्च कर साफ-सुथरा और आकर्षक पर्यटन स्थल में बदला गया। इस दौरान तालाब में गिरने वाली सभी नालियों को बंद कर दिया गया, ताकि तालाब गंदा न हो। लेकिन इन नालियों का पानी अब मेंहदीबाग इलाके की ओर मोड़ दिया गया, जिससे हर साल बरसात के मौसम में वहां पानी भर जाता है और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बीते साल जब मेंहदीबाग में हालात बेकाबू हो गए थे, तब वहां के कुछ लोगों ने नाराज होकर अपने घरों पर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर तक लगा दिए थे। उस समय नगर निगम ने भरोसा दिलाया था कि इलाके से पानी निकालने के लिए एक नया नाला बनाया जाएगा। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी नाले का निर्माण शुरू नहीं हो सका है, जिससे लोग फिर से बारिश से पहले डर और चिंता में जी रहे हैं।
स्थानीय निवासी मुकेश कोष्टा और हरीश पस्तोर का कहना है कि हर साल जलभराव की वजह से बच्चों और बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ती है। दो साल पहले एक बच्चे की मौत तक हो चुकी है, लेकिन उसके बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि इस बार नया नाला बनेगा, लेकिन काम शुरू ही नहीं हुआ।
मेंहदीबाग की इस समस्या से सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि रानी लक्ष्मीबाई के वंशज भी प्रभावित हैं। माधुरी नेवालकर ने बताया कि उन्हें अपने ही घर में रहने में मुश्किल होती है। हर साल पानी उनके दरवाज़े तक आ जाता है, इसलिए उन्होंने दरवाज़े पर तीन फीट ऊंची दीवार बनवा ली है। सालाना हजारों रुपये खर्च करने के बावजूद समाधान नहीं मिल रहा। सियाराम नेवालकर ने कहा कि सबसे अधिक दिक्कत बुज़ुर्गों को होती है जो बारिश में घर से बाहर नहीं निकल पाते, लेकिन प्रशासन अब भी आंखें मूंदे हुए है।