झांसी न्यूज डेस्क: विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव (संगठन) मिलिंद परांडे ने झांसी में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि हिंदू मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण होना अनुचित है, जबकि अन्य धर्मों के पूजा स्थलों को सरकार के अधीन नहीं रखा गया है। उन्होंने बताया कि वीएचपी ने एक कानूनी मसौदा तैयार किया है, जिसे देशभर के सांसदों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सौंपा जा रहा है ताकि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जा सके।
मिलिंद परांडे का कहना है कि हिंदू मंदिरों का इस्तेमाल समाजसेवा और हिंदुओं के कल्याण के लिए होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि मंदिरों की आमदनी केवल हिंदू समाज पर खर्च हो। उन्होंने चिंता जताई कि देश के कई हिस्सों में हिंदू आबादी घट रही है और अगर यही स्थिति रही तो आने वाले समय में हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। इसलिए उन्होंने सभी हिंदू परिवारों से आग्रह किया कि वे कम से कम दो बच्चे अवश्य पैदा करें।
उन्होंने यह भी बताया कि विश्व हिंदू परिषद पूरे देश में युवाओं को देशप्रेम, संस्कृति और सेवा से जोड़ने के लिए विशेष प्रशिक्षण शिविर चला रही है, जिसमें करीब 20 हजार युवक-युवतियां भाग ले रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह जानकारी दी कि एक थिंक टैंक के जरिये — जिसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज, वकील, आईएएस और धर्मगुरु शामिल हैं — मंदिर नियंत्रण को लेकर कानून का मसौदा तैयार किया गया है और हैदराबाद में हाल ही में यह मसौदा वहां के मुख्यमंत्री को भी सौंपा गया है।
देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि भारत में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए और म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं, जो संविधान और देशभक्ति का सम्मान नहीं करते। उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है और इससे निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। जातिगत भेदभाव पर बोलते हुए उन्होंने माना कि भले ही यह कम हुआ हो, लेकिन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने हिंदुओं से अपील की कि जातिगत जनगणना में धर्म के रूप में 'हिंदू' ही दर्ज करें, चाहे जाति कुछ भी हो।