कंबोडिया आज दक्षिण-पूर्व एशिया में साइबर क्राइम, साइबर फ्रॉड और मानव तस्करी के एक बड़े केंद्र के रूप में उभर रहा है। पुलिस जांच में यह सामने आया है कि इन अपराधों का सबसे बड़ा नेटवर्क भारत से जुड़ा हुआ है। बेरोजगार और कम पढ़े-लिखे भारतीय युवाओं को नौकरी का झांसा देकर कंबोडिया भेजा जाता है, जहां उन्हें साइबर क्राइम सेंटरों में कैद कर दिया जाता है। यहां वे क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी, क्रिप्टो घोटाले, हनीट्रैप जैसे अवैध काम करने के लिए मजबूर किए जाते हैं।
कंबोडिया में हुई बड़ी रेड और गिरफ्तारी
27 जून 2025 से 22 जुलाई 2025 तक कंबोडिया की पुलिस ने साइबर क्राइम सेंटरों पर छापेमारी की, जिसमें 3075 लोग गिरफ्तार किए गए। गिरफ्तार लोगों में 105 भारतीय और 81 पाकिस्तानी भी शामिल थे। इस कार्रवाई में भारतीय प्रवर्तन निदेशालय (ED) और साइबर क्राइम ब्रांच ने कंबोडिया पुलिस के साथ सहयोग किया। छापेमारी में लैपटॉप, मोबाइल फोन, ड्रग्स और नकली पुलिस वर्दी भी बरामद हुई। यह रेड कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट के आदेश पर की गई थी।
कैसे फंसाए जाते हैं भारतीय युवा?
इंस्टाग्राम, यूट्यूब, टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एजेंट नौकरी के झूठे ऑफर्स देते हैं। युवाओं को डेटा एंट्री, कॉल सेंटर या कंपनी में नौकरी का लालच देकर कंबोडिया, लाओस, म्यांमार जैसे देशों में भेजा जाता है। फिर इन लोगों के पासपोर्ट छीन लिए जाते हैं और उन्हें साइबर क्राइम सेंटरों में कैद कर लिया जाता है। जहां वे अवैध गतिविधियों के लिए मजबूर किए जाते हैं। विरोध करने पर सुरक्षा गार्ड्स द्वारा हिंसा और यातना दी जाती है।
बॉबी कटारिया और मानव तस्करी का कनेक्शन
हरियाणा के गुरुग्राम जिले के बॉडी बिल्डर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बॉबी कटारिया (असली नाम बलवंत सिंह कटारिया) का नाम मानव तस्करी के इस नेटवर्क से जुड़ा है। वह सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स के जरिए लोगों को विदेश में नौकरी का झांसा देता था। पुलिस ने 27 मई 2024 को उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। बॉबी पर मानव तस्करी, धोखाधड़ी और इमिग्रेशन कानूनों के उल्लंघन के आरोप हैं।