ईरान और इजरायल के बीच 12 जून से जारी जंग ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को भारी चुनौती दी है। अमेरिका के हस्तक्षेप ने इस संघर्ष को और जटिल बना दिया है। अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हमला कर स्थिति को और तनावपूर्ण कर दिया। इस हमले के बाद ईरान ने इजरायल के खिलाफ ‘ऑपरेशन ऑनेस्ट प्रॉमिस 3’ शुरू किया, जिसके तहत उसने इजरायल की राजधानी तेल अवीव समेत कई बड़े शहरों में बैलिस्टिक और लंबी दूरी की मिसाइलें दागकर जबरदस्त हमले किए। इजरायल ने भी प्रतिक्रिया में ईरान की राजधानी तेहरान, केरमांशाह और हमादान में एयर स्ट्राइक कर जवाबी कार्रवाई की।
इस तनावपूर्ण स्थिति ने वैश्विक राजनीति को हिला कर रख दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने इस विवाद को लेकर आपात बैठक बुलाई, जिसमें ईरान, इजरायल और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता जताई गई। इस बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान में तख्तापलट की संभावना पर चर्चा की। ट्रंप ने कहा कि यदि वर्तमान ईरानी सरकार देश को महान बनाने में असमर्थ है, तो सत्ता परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है। यह बयान क्षेत्र में राजनीतिक संकट को और अधिक बढ़ावा दे रहा है।
आर्थिक प्रभाव और वैश्विक बाजार
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे इस संघर्ष का असर विश्व के आर्थिक बाजारों पर भी देखने को मिला है। अमेरिका के इस क्षेत्रीय संघर्ष में सीधे शामिल होने के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। बीएसई का सेंसेक्स 683 अंक गिरकर 81,702.52 पर पहुंच गया, वहीं निफ्टी में 216 अंक की गिरावट आई और यह 24,929.55 पर बंद हुआ। वैश्विक निवेशक इस तनावपूर्ण माहौल को लेकर चिंतित हैं, जो तेल की कीमतों में भी उछाल ला सकता है। मिडिल ईस्ट की अस्थिरता के कारण वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक
यूएनएससी की आपात बैठक भारतीय समयानुसार रात करीब साढ़े बारह बजे हुई। इसमें अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने ईरान की परमाणु स्थिति और अमेरिका के हमलों से हुए नुकसान पर विस्तार से जानकारी दी। बैठक में UN महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भी चिंता जताई और कहा कि अमेरिका के हमलों ने विवाद को खतरनाक मोड़ दे दिया है। उन्होंने सभी पक्षों से कूटनीतिक संवाद को प्राथमिकता देने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। साथ ही समुद्री मार्गों की सुरक्षा को भी बनाए रखने की बात कही गई, क्योंकि खाड़ी क्षेत्र में समुद्री यातायात पर भी इस संघर्ष का असर पड़ सकता है।
क्षेत्रीय देश भी सतर्क
खाड़ी के कई देश जैसे सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और कतर ने इस जंग के बढ़ते खतरे को देखते हुए सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिए हैं। उन्होंने अपने सैन्य ठिकानों और नागरिक क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया है। सऊदी अरब और कुवैत ने अमेरिकी सैन्य अड्डों की सुरक्षा बढ़ाई है, वहीं बहरीन में सरकार ने नागरिकों को मुख्य सड़कों से दूर रहने की सलाह दी है। बहरीन सरकार ने 70% सरकारी कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करने के निर्देश भी दिए हैं। यह क्षेत्रीय तनाव खाड़ी के स्थिरता पर गहरा असर डाल सकता है।
अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए जारी की एडवाइजरी
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को पूरी दुनिया में यात्रा करते समय सतर्क रहने की सलाह दी है। खासतौर पर इजरायल और ईरान के बीच तनाव के चलते मध्य पूर्व क्षेत्र में यात्रा करने वालों को अधिक सावधानी बरतने को कहा गया है। अमेरिकी नागरिकों को संभावित विरोध प्रदर्शनों और अस्थिरता के मद्देनजर यात्रा योजना में बदलाव करने के लिए भी कहा गया है। यह सलाह वैश्विक समुदाय के लिए चेतावनी है कि यह संघर्ष कई देशों में अपनी छाया फैला सकता है।
इजरायल के प्रधानमंत्री का कड़ा रुख
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस जंग में अपने देश के रुख को स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि अब ईरान उनके लिए लेबनान जैसा खतरा बन गया है। नेतन्याहू ने जेरुसलम के वेस्टर्न वाल पर प्रार्थना करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के लिए दुआ की और कड़ा संदेश दिया कि ईरान अगर अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से सक्रिय करने का प्रयास करता है तो इजरायल तुरंत ही उस पर हमला करेगा। उनका कहना है कि इजरायल उन सभी तत्वों को बर्दाश्त नहीं करेगा जो उसके लिए खतरा पैदा करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव का सामना
UNSC में रूस, चीन और पाकिस्तान ने अमेरिका के हमलों की कड़ी निंदा करते हुए संघर्ष को कूटनीति से सुलझाने का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में तुरंत युद्धविराम की मांग की गई है और कहा गया है कि इस संघर्ष से वैश्विक शांति को गंभीर खतरा है। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अभी तक मतदान नहीं हुआ है और माना जा रहा है कि अमेरिका इस पर वीटो का इस्तेमाल कर सकता है।
निष्कर्ष
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है, बल्कि वैश्विक शांति और आर्थिक स्थिरता पर भी गंभीर प्रभाव डाला है। संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक समुदाय द्वारा संघर्ष के समाधान के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी हैं, लेकिन फिलहाल स्थिति नाजुक बनी हुई है। अमेरिका के कदमों ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे मध्य पूर्व क्षेत्र में संभावित व्यापक संघर्ष की आशंका गहरी हो गई है। ऐसे में सभी देशों के लिए जरूरी है कि वे संयम बरतें और बातचीत के रास्ते तलाशें ताकि इस संकट को शांति से हल किया जा सके।