नई दिल्ली: अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) ने एक मानहानि (defamation) मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें दिल्ली की रोहिणी अदालत ने 6 सितंबर 2025 को वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश अानुज कुमार सिंह की बेंच ने कई पत्रकारों, मीडिया प्लेटफार्मों और विदेशी‑लिंक्ड संगठनों को यह निर्देश दिया कि वे पांच दिन के अंदर “अप्रमाणित, अविशुद्ध और प्रकट रूप से अपमानजनक रिपोर्टें” जो AEL की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रही हैं, हटा दें। I
अदालत ने कहा कि यदि सामग्री लेखों, सोशल मीडिया पोस्ट्स या वीडियो में हो, तो उन्हे 5 दिनों में हटाना होगा। साथ ही, इंटरनेट प्लेटफार्मों (जैसे Google, YouTube, X आदि) को भी अधिसूचना मिलते ही 36 घंटे के अंदर ऐसी सामग्री को होस्टिंग या होस्ट करने से अवरोधित करने का निर्देश दिया गया था।
अनुपालन नहीं हुआ; MIB ने हस्तक्षेप किया
हालाँकि अदालत का यह आदेश पारित हो चुका था, कई डिजिटल समाचार प्रकाशकों और कंटेंट क्रिएटर्स ने इस मामले में आदेश के अनुसार सामग्री नहीं हटायी। A
इसी कारण सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information & Broadcasting, MIB) ने 16 सितंबर 2025 को करीब 12 डिजिटल समाचार प्रकाशकों और मीडिया व्यक्तियों को ‑‑ जैसे Newslaundry, The Wire, HW News English, पत्रकार Paranjoy Guha Thakurta, Ravish Kumar, Ajit Anjum, कंटेंट क्रिएटर Dhruv Rathee, Akash Banerjee (The Deshbhakt) आदि को ‑‑ औपचारिक नोटिस भेजा है कि वे कोर्ट के आदेश का पालन करें।
नोटिस में कहा गया है कि मंत्रालय के संज्ञान में आया है कि दिए गए आदेश की निर्धारित समय सीमा के भीतर अनुपालन नहीं हुआ है। उन सभी प्रकाशकों और अकाउंट्स को 36 घंटे के भीतर आपत्तिजनक सामग्री हटाने तथा कार्रवाई की रिपोर्ट Ministry को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
हटाने वाली सामग्री: कितनी लिंकें और पोस्ट्स
कौन है आरोपी पक्ष?
अदालत ने जिन विपक्षियों को आदेश जारी किया है, उनमें शामिल हैं:
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पत्रकार‑विशेषज्ञ: Paranjoy Guha Thakurta, Ravi Nair, Abir Dasgupta, Ayaskanta Das, Ayush Joshi
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मीडिया प्लेटफार्म: Newslaundry, The Wire, HW News English, The Deshbhakt आदि T
अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि यह आदेश केवल उस सामग्री पर लागू है जो अप्रमाणित और अनसत्यापित है। मान्य, सत्यापित और निष्पक्ष रिपोर्टिंग पर इस आदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कानूनी और मीडिया‑स्वतंत्रता के आयाम
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मीडिया स्वतंत्रता के अधिकार एवं अभिव्यक्ति की आज़ादी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के अंतर्गत आती है, लेकिन यह अधिकार सीमित है जब वह प्रतिष्ठा (reputation) को ठेस पहुँचाती हो या मानहानि हो। अदालत ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन दिव्य‑हानि (irreparable harm) होने की संभावना हो तो कार्रवाई न्याय के लिए आवश्यक है।
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मध्यस्थ (intermediary) जैसे यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि को सूचना प्रौद्योगिकी नियम, विशेषकर “Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code Rules, 2021” के अंतर्गत अधिसूचना मिलने पर सामग्री हटाने का दायित्व है।
निष्कर्ष
अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने न्यायालय के आदेश के अनुरूप उन पत्रकारों एवं डिजिटल प्रकाशकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है जिन्होंने कथित defamatory या अपमानजनक सामग्री प्रकाशित की है। नियम यह है कि यदि सामग्री अप्रमाणित हो और जिसने प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया हो, तो उसे हटाया जाए; लेकिन मीडिया‑स्वतंत्रता और सत्यापित रिपोर्टिंग पर रोक नहीं होगी। सरकार ने इस आदेश के पालन के लिए MIB के माध्यम से नोटिस जारी कर यह सुनिश्चित किया है कि संबंधित डिजिटल प्रकाशक और प्लेटफार्म कानून के दायरे में रहे।