संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र के दौरान न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर चीन के खिलाफ तिब्बत की स्वतंत्रता की मांग को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में तिब्बती कार्यकर्ता और उनके समर्थक जुटे, जिन्होंने “तिब्बत को आजाद करो”, “चीन बाहर करो” और “चीन तिब्बत से बाहर करो” जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे विश्व के नेताओं से तिब्बत की स्वतंत्रता के समर्थन में आवाज उठाने और चीन की तिब्बत में हो रही दमनकारी नीतियों को खत्म कराने का अनुरोध करने आए हैं।
न्यूयॉर्क और न्यू जर्सी के तिब्बती युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष ताशी टुंडुप ने इस अवसर पर कहा, “हम यहां संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों और विश्व के नेताओं से तिब्बत की आजादी के लिए समर्थन मांगने आए हैं। तिब्बत के लोगों की आवाज़ को अब दबाया नहीं जा सकता। हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमारी पीड़ा को समझेगा और उचित कार्रवाई करेगा।”
तिब्बती युवा कांग्रेस का इतिहास और उद्देश्य
1970 में स्थापित तिब्बती युवा कांग्रेस एक प्रमुख राजनीतिक संगठन है जो तिब्बत की पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करता है। इस समूह के लगभग तीस हजार से अधिक सदस्य हैं, जो तिब्बत की राजनीतिक स्थिति और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन, जागरूकता अभियान और वैश्विक स्तर पर संवाद स्थापित करने का कार्य करते रहे हैं। तिब्बती युवा कांग्रेस का मानना है कि तिब्बत की स्वतंत्रता न केवल एक राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि यह मानवाधिकारों और सांस्कृतिक संरक्षण का मामला भी है, जिसे पूरी दुनिया के सामने उठाने की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र के दौरान विरोध का महत्व
चीन के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के साथ हुआ, जब विश्व के प्रमुख नेता वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित थे। इस अवसर का फायदा उठाकर तिब्बती कार्यकर्ताओं ने अपनी आवाज़ विश्व के मंच पर उठाई। चीन, जो तिब्बत पर अपना नियंत्रण बनाए हुए है, अक्सर तिब्बती स्वतंत्रता आंदोलनों को दबाने के लिए कड़ी कार्रवाई करता है। इसलिए इस तरह के विरोध प्रदर्शन तिब्बती लोगों के संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करने का एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है।
चीन की प्रतिक्रिया और वैश्विक परिप्रेक्ष्य
हालांकि इस विरोध प्रदर्शन के दौरान चीन ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने सभा को संबोधित करते हुए वैश्विक राजनीति और आर्थिक मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने विशेष रूप से अमेरिकी व्यापार नीतियों पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा, हालांकि डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया गया। चीन की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षा और क्षेत्रीय तनावों के बीच तिब्बत जैसे संवेदनशील मुद्दे हमेशा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में चुनौती बने हुए हैं।
निष्कर्ष
तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए तिब्बती युवा कांग्रेस और अन्य समर्थक समूहों द्वारा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर किए गए विरोध प्रदर्शन ने इस मुद्दे को एक बार फिर वैश्विक ध्यान केंद्रित किया है। यह प्रदर्शन न केवल तिब्बती लोगों की आवाज़ को प्रमुख मंच पर उठाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी यह सोचने पर मजबूर करता है कि तिब्बत में मानवाधिकारों और सांस्कृतिक स्वतंत्रता की रक्षा कैसे की जाए। आने वाले समय में इस संघर्ष के लिए वैश्विक समर्थन और चीन के साथ तनाव की राजनीति का संतुलन कैसे बिठाया जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।