अमेरिका में बसे बांग्लादेशी प्रवासियों ने अपने देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह विरोध प्रदर्शन खासतौर पर बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यूनुस देश को तालिबानी राष्ट्र बनाने में लगे हुए हैं और उनकी नीतियों के कारण बांग्लादेश में धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को भारी खतरा है। प्रदर्शन में “यूनुस पाकिस्तानी है, पाकिस्तान वापस जाओ” जैसे नारे गूंजे, जो उनके प्रति गहरी नाराजगी और अविश्वास को दर्शाते हैं।
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बिगड़े हालात
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस ने देश की जिम्मेदारी संभाली है, लेकिन उनके शासनकाल में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू, ईसाई और अन्य धार्मिक समूहों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि उनके शासन के कारण ही लाखों लोग अपने देश को छोड़ने को मजबूर हुए हैं। उनका मानना है कि यूनुस की नीतियां देश को अस्थिरता की ओर ले जा रही हैं और बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरता और हिंसा बढ़ रही है। इसलिए वे यूनुस की सत्ता खत्म करने और देश में जल्द से जल्द आम चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं।
तालिबानी देश बना रहे यूनुस
प्रदर्शनकारियों ने मोहम्मद यूनुस पर आरोप लगाया कि वे बांग्लादेश को तालिबानी देश में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश आतंकवाद और कट्टरता की चपेट में आ रहा है, जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। उन्होंने धार्मिक पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की भी मांग की, जिन्हें कथित रूप से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। प्रदर्शनकारियों का जोर इस बात पर है कि यूनुस अपनी जिम्मेदारी छोड़ दें और लोकतंत्र के तहत नए चुनाव कराए जाएं।
UNGA में यूनुस का भाषण और प्रवासियों का योगदान
हालांकि इन विरोध प्रदर्शनों के बीच, मोहम्मद यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की बैठक में हिस्सा लिया और शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद अपना दूसरा अंतरराष्ट्रीय भाषण दिया। उन्होंने कहा कि बीते साल जब उन्होंने पहली बार भाषण दिया था, तब बांग्लादेश एक विद्रोह के दौर से गुजर रहा था, लेकिन अब वे बदलाव की प्रक्रिया में हैं। यूनुस ने बांग्लादेशी प्रवासियों के योगदान को भी सराहा, जिनकी संख्या 71 लाख से अधिक है। उन्होंने बताया कि साल 2019 में प्रवासियों ने 18 अरब अमेरिकी डॉलर की रेमिटेंस भेजी, जो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम है। इसके अलावा, प्रवासी बांग्लादेशी मेजबान देशों के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
गाजा नरसंहार और रोहिंग्या संकट पर चिंता
अपने भाषण में यूनुस ने गाजा में जारी हिंसा को ‘नरसंहार’ करार देते हुए वैश्विक समुदाय से इस पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर भी गहरी चिंता जताई और कहा कि बांग्लादेश में रोहिंग्या संकट गंभीर रूप ले रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सहायता कम हो रही है। शरणार्थियों के बीच बढ़ती भूखमरी, कुपोषण और असहायता की स्थितियां बन रही हैं। यूनुस ने चेतावनी दी कि अगर समय रहते मदद नहीं मिली तो यह क्षेत्र एक बड़ी मानवीय तबाही का सामना कर सकता है।
निष्कर्ष
अमेरिका में बांग्लादेशी प्रवासियों के विरोध प्रदर्शन से स्पष्ट है कि बांग्लादेश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में गंभीर दरारें हैं। मोहम्मद यूनुस की नीतियों को लेकर देश के अंदर और बाहर दोनों जगह चिंता और विवाद बढ़ रहा है। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, धार्मिक कट्टरता का बढ़ना और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधाएं इस देश की स्थिरता के लिए खतरा हैं। विश्व समुदाय और बांग्लादेश के लोगों के लिए यह चुनौती है कि वे किस तरह से शांति, सुरक्षा और समावेशी विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं।